नई दिल्ली / अजय सेतिया / बीबीसी ने हिन्दी में चार पदों पर आवेदन मांगे हैं | मार्क टूली के समय भारत में बीबीसी की सब से पहले और सब से पुष्ट समाचारों की चावी बनी थी | बीबीसी को आज भी भारत में उसी नजर से देखा जाता है | लेकिन कुछ साल पहले शुरू हुई बीबीसी की साईट ने अपनी छवि को कितना नुक्सान पहुंचाया है , यह फेसबुक पर युवाओं की प्रतिक्रिया देख कर लगाया जा सकता है |
बीबीसी की ज्यादातर खबरें भारत को हिन्दू-मुसलमान में बाँट कर ही पेश की जा रहीं हैं | कश्मीर को भारत के कब्जे वाला कश्मीर बताया जा रहा है | बीबीसी हिन्दी साईट में में एक साजिश के तहत सिर्फ वामपंथी विचारधारा के नए युवकों या मुसलमानों को नौकरी दी गई है, ताकि उन से भारत विरिधी लिखवाने में कोई दिक्कत ना आए | करीब करीब सारी ख़बरें मोदी सरकार के विरोध में लिखी जा रही हैं |
भारत में बनी अपनी साख का दुरूपयोग करते हुए बीबीसी की हिन्दी साईट आज कल किस तरह भारत विरोधी ख़बरें प्रसारित कर रही है ,इस की जानकारी फेसबुक पर निकाले गए पदों के विज्ञापन पर लोगों की प्रतिक्रिया देख कर मिल सकती है | अनेक युवकों ने प्रतिक्रिया में लिखा है कि वह न तो वामपंथी है, न मुसलमान है, तो आप नौकरी कैसे देंगे | कुछ ने लिखा कि वह भारत विरोधी बीबीसी में काम करने की बजाए भूखा मरना पसंद करेगा |
एक किन्ही दीपक के मित्रा ने बीबीसी की पोल खोलते हुए फेसबुक पर प्रतिक्रिया दी , जिस मे उन्होंने दूंगा की बजाए दुंगा लिख दिया था | इस पर बीबीसी ने उन का मजाक उड़ाते हुए लिखा-" आप पहले अपना दुंगा सुधारिए.दरअसल दुंगा नहीं दूंगा होता है. बड़े ऊ की मात्रा लगती है " इस पर दीपक के मित्रा ने बीबीसी को करारा जवाब देते हुए लिखा -इस तथ्य के बावजूद कि भारतीय हैं ,या तो आप का भारत के बारे में ज्ञान कम है या फिर आप देशद्रोही हैं . कोई शक है , उदाहरण के तौर पर आप लिखते हैं ,भारत के कब्जे वाला कश्मीर | यहाँ हम कुछ [प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं :
नदीम किदवई ने लिखा-" मंदिर मस्जिद के आगे भीख मजदूरी या मेहनत इमानदारी का कोई काम कर लेंगें पर दलाल मीडिया की नौकरी बेईमान आदमी कर सकता है ,क्यूंकि न तो वो ज़माना रहा और न वो सरकार |
राकेश सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा- " बीबीसी की जाब करने का मतलब अपने देश के खिलाफ बोलने की आदत डालना | हम से यह नहीं होगा | हम देशभक्त हैं |
विकास कनौजिया ने लिखा-" आवेदक को हिन्दी और उर्दू आनी चाहिए , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अगर वह पाकिस्तान से हो, उसे साम्प्रदायिक नजरिए से अच्छी तरह खबर बनानी आनी चाहिए -जैसे हिन्दू मुस्लिम और गौमांस की खबर बनाने के लिए तो हमेशा तैयार रहना चाहिए |
कुमार संदीप लिखते हैं -@BBC सब से पहले तो अपनी रिपोर्टिंग सुधारिए , हमेशा मेरे देश की बुराई करते हैं और हिन्दू मुस्लिम करते रहते हैं ,जैसे भारत में कभी कोई अच्छा काम हुआ ही नहीं ,न होगा | नेगेटिव रिपोर्टिंग , उम्मींद है आप हमारी भावनाएं समझेंगे ,हम भारत के नौजवान हैं |
दीपेन्द्र रावत लिखते हैं -" क्या बीबीसी पाकिस्तानी चेनेल है , या इस का मालिक कोई मुहाजिर है ,जो सिर्फ पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में रह रहे मुसलमानों की ही न्यूज देता है , अरे इन के अलावा भी बहुत सारी कौम हैं भाई |"
धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी लिखते हैं -" मैं आप की नौकरी करने को तैयार हूँ लेकिन अपनी शर्तों पर , मैं जो बोलूंगा सच ही बोलूंगा और मैं वही रिपोर्टिंग करूंगा जो भारत देश के हित में होगा | अगर आप को यह मंजूर हो तो मैं अपना बायोडाटा भेज दूं क्या ? "
आकाश रावत लिखते हैं -" देशद्रोही के यहाँ नौकरी हम नहीं के सकते , थूकता हूँ तेरी नौकरी पे , हराम जाड़े हैं बीबीसी में नौकरी करने वाले | "
भारत मल्होत्रा लिखते हैं -" यहाँ तो सब निक्कमे हैं , जनाब आप या तो कश्मीर जाएं या अपने मुल्क पाकिस्तान | वहां आप को काबिल लोग मिलेंगे भर्ती के लिए |"
मनिन्द्र मोहन शर्मा लिखते हैं-" किसी जमाने में बीबीसी वालों की क्या साख हुआ करती थी ...लेकिन अब एक घटिया चेनेल तक सीमित हो गई है ....समय के साथ सुधार करो वरना तुम्हारा भी अस्तित्व खतरे में है | "
जीतराम कुमार लिखते हैं -" मैं एक चरमपंथी समूह का सदस्य हूँ | क्या आवेदन कर सकता हूँ ? सूना है बीबीसी हिन्दी में चरमपंथी के लिए बहुत सहानुभूति है |"
दशरथ एस देसाई ने लिखा-| सिर्फ वामपंथी और मुसलमान ही आवेदन करें , ऐसा लिखना था यार बीबीसी वालो , क्योंकि बीबीसी में नौकरी तो सिर्फ वामपंथी और मुसलमान को ही मिलेगी | "
भरत कुमार तिवारी लिखते हैं -" तुम जैसे दलालों के यंहा नौकरी करने से अच्छा मैं बेरोजगार रहना पसंद करूंगा #बीबीसी | हा अगर तुम्हारे पिछवाड़े पर कोड़े मारने की नौकरी हो तो बताओ |"
मनोज चौधरी लिखते हैं कि दिग्विजय सिंह बीबीसी में नौकरी करने के लिए सब से फिट केंदिदेत है |"
हाँ कुछ टिप्पणियाँ बीबीसी के हक़ में भी हैं , जिन्हें हम जानबूझकर नहीं दे रहे, क्योंकि वे सभी मुसलमानों की तिप्प्निया हैं , और हम उन्हें यहाँ एक्सपोज नहीं करना चाहते |
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