निराशा को आशा में बदलना होगा मोदी को 

Publsihed: 27.May.2017, 15:11

मोदी के तीन साल-2 / अजय सेतिया/ पांच महत्वपूर्ण विषय हैं ,जिन पर देश की जनता मोदी सरकार से नतीजे चाहती है | इन पाँचों विषयों पर जनता अभी तक के मोदी सरकार के काम काज से अपेक्षाकृत संतुष्ट नहीं है | सब से पहला मुद्दा रोजगार का है , दूसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का है, तीसरा मुद्दा पाकिस्तान सीमा पर तनाव और कश्मीर , चौथा मुद्दा नक्सलवाद का है और पांचवां किसानों की बाद से बदतर होती जिन्दगी का है | हाल ही में जिस बड़े सर्वेक्षण संस्थान ने मोदी सरकार के तीन सालों का सर्वेक्षण किया , उस के अनुसार 25 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रोजगार पैदा करने में सफल नहीं हुए, 20 प्रतिशत लोग मानते हैं मोदी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उतने सफल नहीं हुए, जितने सब्जबाग दिखाए गए थे | जब कि 21 प्रतिशत सीमा पर हालात संभालने और कश्मीर में मोदी सरकार की विफलता मानते हैं , 19 प्रतिशत नक्सली हिंसा को काबू करने में सरकार को विफल मानते हैं | पन्द्रह प्रतिशत लोगों का मानना है कि मोदी सरकार किसानों की समस्याएं हल करने में विफल रहे हैं | जनता की प्राथमिकता और आशाएं इन पांच विषयों के इर्द-गिर्द हैं रोजगार,भ्रष्टाचार,सीमा पर शान्ति और कश्मीर, वामपंथी हिंसा पर काबू और किसानों की हालत में सुधार | और मोदी सरकार को दो साल बाद स्पष्ट बहुमत का लक्ष्य हासिल करने के लिए इन्हीं पांच मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए | 
सब से पहले हमें रोजगार और किसानों की हालत की समीक्षा करनी चाहिए | मोदी सरकार ने किसानों की हालत सुधारने और दो करोड़ नए रोजगार पैदा करने का वायदा किया था | इन दोनों ही क्षेत्रों में सरकार के दावे वास्तविकता से कौसो दूर हैं, पिछले तीन सालों में किसानों की हालत में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ और कुछ हजार रोजगार ही पैदा हुए हैं , जबकि बेरोजगारों की संख्या लोकसभा चुनाव के बाद दुगनी हो गयी है | सरकार ने रोजगार को नौकरी से अलग कर के स्वरोजगार की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए दो महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की | स्टार्ट अप और स्किल इंडिया | स्टार्ट अप के लिए सरकार ने 10000 करोड़ का बजट तय किया था, लेकिन पहले साल सरकार ने सिर्फ 5 करोड़ 60 लाख रूपए खर्च किए ,यानि या तो सरकार पीछे हट गयी या फिर बैंकों ने सहयोग नहीं दिया या फिर मंदी के हालात में युवक जौखिम उठाने को तैयार नहीं हो रहे | मोदी सरकार की स्टार्ट अप योजना के बावजूद नए व्यापार शुरू करने के अन्तर्राष्ट्रीय आंकड़ों में भारत का ग्राफ ऊपर चढ़ने की बजाए गिरा है | विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मोदी सरकार बनते वक्त भारत  151वें स्थान पर था और 2016 के आखिर में 154वें स्थान पर खिसक गया है | युवकों को अपने पैरों पर खडा करने के लिए स्किल इंडिया नरेंद्र मोदी की अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना थी | 2015-2016 में भारत सरकार ने 18 लाख युवाओं का हुनर और क्षमता बढाने के लिए 1500 करोड़ रूपए खर्च किए ,लेकिन नतीजा यह निकला कि जिन बच्चों को स्किल ट्रेनिंग दी गयी , उन में से सिर्फ 12.4 प्रतिशत को रोजगार मिला | यानि एनएसडीसी एक सफ़ेद हाथी बन गया है | उस की ट्रेनिंग की क्वालिटी इतनी घटिया थी कि मार्किट में वे बच्चे ठहर नहीं पाए |  
जनता की तीसरे नंबर की चिंता भ्रष्टाचार की है | इस में कोई शक नहीं है कि यूपीए शासनकाल में जिस तरह हर मंत्री और और हर अफसर सरकारी सम्पति को औने-पौने भाव में बड़े उद्धयोगपतियों के हवाले कर सरकारी खजाने को लूटने-लुटाने में लगा हुआ था ,उस पर पूरी तरह नकेल कसी गई है | पी.चिदम्बरम और लालू यादव के परिवार पर आयकर,ईडी और सीबीआई के छापों से जाहिर है कि मोदी  सरकार चुनाव में किए वायदों को निभाने के प्रति कृतसंकल्प है | तीन साल में एक भी ऐसा किस्सा सुनने में नहीं आया जिस से भ्रष्टाचार का रत्ती भर भी संदेह होता हो | सरकार आने वाले समय में जल्द ही लोकपाल का गठन कर देती है तो भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक कठोर पहल होगी, सिर्फ विपक्ष के नेता के अभाव में इसे रोके रखना मोदी सरकार के लिए कोई अच्छा सन्देश नहीं दे रहा | लोकपाल को सौंपे गए मामलो पर सीबीआई ,ईडी और आयकर विभाग जैसी संस्थाएं सीधे लोकपाल को जवाबदेह बना दी जाए, तो राजनीतिक विद्वेष की आरोपबाजी पर भी नकेल लगेगी | मोदी सरकार की नियत पर कोई शक नही कर सकता ,मोदी ने पारदर्शिता के लिए खुद-ब-खुद एलान किया था कि आरटीआई में माँगी गयी सूचनाओं को वेबसाईट पर भी चढ़ा दिया जाएगा | लेकिन ब्यूरोक्रेसी इस पर अमल नहीं कर रही, तीन साल के अन्दर सिर्फ दो सूचनाए वेबसाईट पर लोड की गयी हैं , जबकि इस दौरान सैंकड़ो आरटीआई याचिकाएं लगी होंगी | चुनावी वायदे के अनुसार सरकार ने अभी सारे रिकार्ड और कार्यपद्धति को डिजिटाजेशन नहीं किया है, ऐसा होने से भ्रष्टाचार पर नकेल लगेगी, संभवत: इस में भी ब्यूरोक्रेसी अड़चन बनी हुई है | 
आतंकवाद और नक्सलवाद दो ऐसे मुद्दे हैं, जिक को लेकर मोदी पर सब से ज्यादा उम्मीन्दें थी | प्रधानमंत्री ने जब अपनी सरकार का सब से ज्यादा साहसिक कदम नोटबंदी  उठाया था, तो उस के पीछे एक दलील यह दी गयी थी कि इस से नक्सलवादियों और कश्मीर में पत्थर फैंकने वालों की कमर टूटेगी | इन दोनों ही मोर्चों पर सरकार को अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली | नोटबंदी के बाद ही सुकमा (बस्तर) में नक्सलवादी हिंसा हुई, जिस में एक साथ 26 जवान शहीद हो गए और नोटबंदी के बाद ही कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवाद की घटनाओं में रिकार्ड तोड़ बढ़ोतरी हो गयी है | भले ही देश के अन्य हिस्सों में आतंकवाद की वारदातें नहीं हुई हों , लेकिन कश्मीर घाटी पूरी तरह आतंकवादियों और अलगाववादियों के शिकंजे में हैं | भाजपा का पीडीपी के साथ मिल कर सरकार बनाना शायद पंजाब के सफल प्रयोग को दोहराने की कोशिश थी | पंजाब में जब हिन्दुओं और सिखों में वैमनस्य की स्थिति थी, तब भाजपा (उस से पहले जनसंघ) ने अकाली दल के साथ गठबंधन कर हिंदुओं और सिखों में भाईचारा कायम किया था | भाजपा ने उसी प्रयोग को सामने रख कर पीडीपी से गठबंधन किया था क्योंकि वह मुस्लिम बहुल घाटी में जीती थी और भाजपा हिन्दू बहुल जम्मू में | लेकिन यह प्रयोग अब विफल होता हुआ दिखाई दे रहा है, घाटी में मुस्लिम कट्टरवाद अपने उभार पर पर है, खुलेआम कहा जा रहा है कि मुस्लिम बहुल होने के कारण वे पाकिस्तान के करीब हैं | खुलेआम पाकिस्तान के झंडे फहराए जा रहे हैं और पाकिस्तान का राष्ट्रगान गाया जा रहा है | 1990 में कश्मीरी पंडितों को निकाल कर घाटी को हिन्दू रहित करने के बाद अब घाटी को मुस्लिम राष्ट्र स्थापित और घोषित करने की दूसरे स्टेज की रणनीति ने काम करना शुरू कर दिया है | सीमा पार से पाक सैनिकों के भारत में घुस कर भारतीय सेनिकों का सिर काट ले जाने की घटना पहले कभी नहीं हुई थी | सर्जिकल स्ट्राईक और पाकिस्तान की चौकियां तबाह करने जैसी कार्रवाईयां भी कारगर साबित नहीं हो रहीं | मोदी सरकार को आने वाले साल में अपनी इन पांच विफलताओं को सफलता में बदलना होगा | निराशा को आशा में बदलना होगा | 

 

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