सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर सुनवाई पूरी हो जाने के बाद आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नया हल्फिया बयान दायर कर के कहा है कि वह नई एडवाईजरी जारी कर देगा, जिस के मुताबिक़ निकाह होते समय काजी की तरफ से कहा जाएगा कि एक बार में ट्रिपल तलाक नहीं होगा | हल्फिया बयान में कहा गया है कि ट्रिपल तलाक इस्लाम के अनुसार जायज नहीं है | सुनवाई के दौरान बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि ट्रिपल तलाक इस्लाम धर्म का मामला है इस में कोर्ट दखल नहीं दे सकता | बोर्ड अदालत में सुनवाई के दौरान लगातार स्टेंड बदलता रहा,अब स्टेंड पूरी तरह बदल लिया है |
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम बोर्ड ने यह भी कहा कि वह तीन तलाक देने वालों के सामाजिक बहिष्कार का आह्वान भी करेगा। अपने एफिडेविट में बोर्ड ने कहा कि वह काजी दूल्हा और दुल्हन को सलाह देंगे कि वे निकाहनामा में एक नियम जोड़ें कि वह तीन तलाक का सहारा नहीं लेंगे। हालांकि इस एफिडेविट में सदियों पुरानी इस प्रथा को खत्म करने की बात नहीं कही गई है। केंद्र की मोदी सरकार ट्रिपल तलाक को हर कीमत पर खत्म करना चाहती है। केंद्र सरकार का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को इससे काफी परेशानी होती है। उनके अधिकारों का हनन है। इससे इतर कुछ मुस्लिमों का कहना है यह शरीयत का मामला है इसमें सरकार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
मुस्लिम केलेरिक मुफ्ती मुकर्रम नेकहा कि बोर्ड का नया स्टेंड प्रधानमंत्री की उस सलाह के अनुसार है, जिस में उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समाज को खुद आगे आ कर सुधारवादी कदम उठाने चाहिए | लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस के बावजूद अगर कोइ एक साथ ट्रिपल तलाक बोल देता है , तो तलाक मानी माना जाएगा |
इस से पहले कपिल सिब्बल ने अदालत के सामने कई दिलचस्प दलीलें पेश कीं थी । मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कोर्ट में बार बार कहा कि ट्रिपल तलाक इस्लाम के मुताबिक़ है | सिब्बल ने तीन तलाक को मुस्लिमों की आस्था का मुद्दा बताते हुए उसकी तुलना भगवान राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली। उन्होंने कहा कि अगर भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने को लेकर हिंदुओं की आस्था पर सवाल नहीं उठाए जा सकते तो तीन तलाक पर सवाल क्यों? उन्होंने तीन तलाक अमान्य होने की स्थिति में नया कानून लाने के केंद्र के बयान पर भी सवाल उठाए थे ।
कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष रख रहे सिब्बल ने कहा, 'मुसलमान पिछले 1400 सालों से तीन तलाक की प्रथा का पालन कर रहे हैं और यह विश्वास का मामला है। आप कैसे कह सकते हैं कि यह असंवैधानिक है?' आस्था का सवाल उठाते हुए सिब्बल ने आगे कहा, 'अगर हिंदू मानते हैं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था तो इस आस्था को संवैधानिक मान्यता के आधार पर सवालों के घेरे में नहीं लाया जा सकता।' सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को किसी की आस्था और विश्वास को न तो तय करना चाहिए और न ही उसमें दखल देना चाहिए। इस पर जस्टिस आर. एफ नरीमन ने सिब्बल ने पूछा, 'क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हमें इस मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए?' जवाब में सिब्बल ने कहा, 'हां, आपको नहीं करनी चाहिए।'
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