नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कोयला आवंटन घोटाले में पूर्व कोल सेक्रेटरी को दो साल की सजा सुनाई है। पूर्व कोल सेक्रेटरी एचसी गुप्ता समेत दो और पूर्व अधिकारियों को भी दो साल की सजा मिली है। थेड़ी देर बाद सभी लोगों को जमानत भी मिल गई। पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी पूर्व अधिकारियों को 1 लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड और इतने ही रुपये की जमानत भरने को कहा है।
इससे पहले 19 मार्च को दिल्ली की स्पेशल कोर्ट ने कोलगेट मामले में पूर्व कोल सेक्रेटरी एचसी गुप्ता, जॉइंट सेक्रेटरी केएस क्रोफा और केएसएसपीएल और उसके एमडी पीके आहलूवालिया को कई धाराओं के तहत आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया गया है। दिल्ली की अदालत ने उन्हें मध्यप्रदेश के रुद्रपुर में केएसएसपीएल कोल ब्लॉक आवंटन में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार करने का भी दोषी पाया था। इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे चार्टेड अकाउंटेंट अमित को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। कोयला घोटाला मनमोहन सिंह की अगुआई वाली यूपीए सरकार के दौरान हुआ था।
1.86 लाख करोड़ रुपये का यह घोटाला उस वक्त सामने आया था जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोयला ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया। सीएजी की अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक इससे सरकारी खजाने को 1 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचा थआ और कंपनियों ने बेहिसाब मुनाफा कमाया था। सीएजी के मुताबिक सरकार ने कई फर्म्स को बिना किसी नीलामी के कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे। इनमें एनटीपीसी, टाटा स्टील, भूषण स्टील, जेएसपीएल, एमएमटीसी और सीईएससी जैसी सरकारी और प्राइवेट- दोनों कंपनियों के नाम शामिल थे। भारत के लोकतंत्र में पहली बार एेसा हुआ था कि किसी मामले में देश के प्रधानमंत्री पर अंगुली उठाई गई हो।
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