नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति के लिए भारत सरकार की शर्तें मानने को तैयार हुआ सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम | मोदी का कद बढ़ते ही सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी तेवर ढीले कर लिए | मोदी सरकार ने जजों की नियुक्ति में जजों का ही अंतिम अधिकार बंद करने के लिए नेशनल जूडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन क़ानून बनाया था | जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने अक्टूबर 2015 में नेशनल जूडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन पर रोक लगा दी थी | संवैधानिक पीठ दिसंबर 2015 में केंद्र को चीफ जस्टिस के साथ सलाह-मशविरा कर नया एमओपी तैयार करने कहा था। चीफ जस्टिस को कॉलेजियम के अन्य सदस्यों के विचार के अनुरूप फैसला लेना था।
केंद्र सरकार ने एमओपी का जो ड्राफ्ट तैयार कर के दिया था, उस की दो बातों ‘नेशनल सिक्यॉरिटी क्लॉज और सेक्रटेरिएट के गठन पर कोल्जियम को कडा ऐतराज था , जिस कारण पिछले एक साल से एमओपी का ड्राफ्ट कॉलेजियम और केंद्र के बीच फंसा हुआ था। केंद्र सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की पात्रता में इसे शामिल किए जाने पर अड़ा था। दोनों में से कोई भी पक्ष अपने रुख से टस से मस होने को तैयार नहीं था। हालांकि, खेहर के चीफ जस्टिस बनने के बाद से स्थितियां बदलीं।
कोलाजियम ने अब मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को आखिरी रूप दे दिया है। चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम एमओपी में नेशनल सिक्यॉरिटी क्लॉज को जोड़ने पर सहमत हो गया है। इस कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर शामिल हैं। कॉलेजियम ने इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट और प्रत्येक हाई कोर्ट में सेक्रटेरिएट्स के गठन को लेकर भी अपना विरोध छोड़ दिया है। इसका गठन जजों के डेटाबेस को बनाए रखने और जजों की नियुक्ति में कॉलेजियम की सहायता करने के लिए किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में एक सेक्रटेरिएट के गठन पर सर्वसम्मति बन गई है।
कॉलेजियम और सरकार के बीच के मतभेद के कारण रिक्तियां भर नहीं पाई थीं। एमओपी पर मुहर लग जाने के बाद इसे केंद्र की मंजूरी और इसे अंगीकार करने के लिए इसे भेजा जाएगा। इससे हाई कोर्ट में रिक्तियां भरने की उम्मीद बढ़ा दी है, जिसमें अभी भी इसकी क्षमता से 60 फीसदी से भी नीचे कर्मचारी हैं। कई हाई कोर्ट में जजों की कमी के कारण कोर्ट रूम बंद पड़े हैं। जिससे केस का निष्पादन जल्द नहीं हो पा रहा है।एक सूत्र ने बताया, ‘नेशनल सिक्यॉरिटी क्लॉज और सेक्रटेरिएट के गठन के अलावा कोई और ऐसा कठिन पॉइंट नहीं है जिसके प्रस्ताव की जरूरत है।’ सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने इस दौरान 7 बैठकें की हैं और सर्वसम्मति से एमओपी को हरी झंडी दी है।
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