जम्मू कश्मीर। सेना प्रमुख की चेतावनी के बाद देश के टुकडे करने वाली वामपंथी कौम के होश उड गए हैं ! वे सोशल मीडिया पर सेना प्र्मुख के बयान की आलोचना में मशगूल हैं, जब कि आम लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने आतंकी विरोधी अभियान वाली जगहों से दूर रहने की सलाह दी है। प्रशासन की सलाह का जिक्र सेना प्रमुख के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आतंक विरोधी अभियानों में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
दिए सख्त निर्देश
आपको बता दें कि श्रीनगर, शोपियां और बड़गाम जिले में प्रशासन ने अपने निर्देश में साफ़ कहा है कि आपनी जिंदगी का ख्याल रखते हुए लोग उन जगहों के करीब ना जाएं, जहां पर भारतीय सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो रही हो। इसके अलावा प्रशासन ने जिले में आतंकी रोधी अभियान वाली जगहों के तीन किलोमीटर के दायरे कोई प्रवेश न करे इसके सख्त निर्देश दिए हैं। हालांकि ये निषेधाज्ञा ऐम्बुलेंस, चिकित्सा कर्मियों और सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी।
दिया था करारा बयान
गौरतलब है कि हाल ही में सेना प्रमुख बने जनरल बिपिन रावत ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि आतंकी मुठभेड़ के दौरान सेना पर पथराव करने वालों को देशद्रोही माना जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये भी बता दें कि जनरल बिपिन रावत का यह बयान घाटी में मंगलवार को हुईं मुठभेड़ों में एक मेजर सहित सेना के चार जवानों के शहीद होने के बाद आया था।
रक्षा मंत्री ने किया समर्थन
सेना प्रमुख जनरल रावत के इस बयान पर सियासी जुबान भी छाई रही और कुछ राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की, तो वहीं रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जनरल रावत के इस बयान का समर्थन किया। इस बाबत रक्षा मंत्री पर्रिकर ने कहा था कि सेना हर कश्मीरी को आतंकवादी नहीं मानती, लेकिन अगर कोई भारतीय सेना के खिलाफ कुछ करे, तो मौजूद अधिकारी को इसके लिए फ्री हैंड होता है।
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