चेन्नई: तमिलनाडु में जल्लीकट्टू खेल पर लगे प्रतिबंध को लेकर राज्य भर में विरोध प्रदर्शन जारी है. चेन्नई के मरीना बीच पर हजारों की तादाद में लोग जमा हुए हैं और मांग कर रहे हैं कि पोंगल के मौके पर होने वाले जल्लीकट्टू खेल पर सुप्रीम कोर्ट ने जो प्रतिबंध लगाया है, उसे हटाया जाए.
इस खेल को लेकर हो रहे प्रदर्शन से जल्लीकट्टू ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर ली हैं. ऐसे में अगर आप नहीं जानते कि यह खेल आखिर है क्या और जल्लीकट्टू का मतलब क्या होता है तो अब जान लीजिए. तमिल भाषा जानने वालों का कहना है कि 'जल्ली' शब्द दरअसल 'सल्ली' से आया है जिसका मतलब होता है 'सिक्के' और कट्टू का अर्थ है 'बांधा हुआ.' जल्लीकट्टू सांडों का खेल है जिसमें उसके सींग पर कपड़ा बांधा जाता है. जो खिलाड़ी सांड के सींग पर बांधे हुए इस कपड़े को निकाल लेता है उसे ईनाम के रूप में सिक्के या पैसे मिलते हैं. इसलिए इस खेल को जल्लीकट्टू के नाम से जाना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पोंगल के वक्त खेले जाने वाले इस खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी है. पशुओं के अधिकारों की रक्षा करने के काम करने वाली संस्थाओं ने इस खेल को जानवरों के लिए हानिकारक बताया है, वहीं तमिलनाडु की जनता इसे अपने संस्कृति का एक अहम हिस्सा बताते हुए प्रतिबंध को वापस लेने की मांग कर रही है. कुछ दिन पहले अभिनेता कमल हासन और रजनीकांत ने इस खेल का समर्थन करते हुए कहा था कि सांड़ों की लड़ाई का यह खेल तमिल संस्कृति का हिस्सा है. रजनीकांत ने कहा था कि 'चोट से बचने के लिए खेल के नियमन को लेकर नियम बनाए जा सकते हैं लेकिन क्या किसी संस्कृति को अस्वीकार करना सही है?'
इस मामले को लेकर राज्य के सीएम ओ पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को ही पीएम मोदी से मुलाकात की है. पीएम ने कहा है कि क्योंकि मामला अदालत में है इसलिए वह दख़ल नहीं दे सकते लेकिन अध्यादेश के मामले में वह राज्य सरकार के साथ हैं. हालांकि फिलहाल उन्होने अध्यादेश से भी इंकार कर दिया है. लेकिन सूत्रो के अनुसार मुख्यमंत्री को सुझाव दिया गया है कि खेल क्योंकि राज्य सूचि में हैं , इस लिए राज्य सरकार अध्यादेश जारी कर सकती है.
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