कैलेंडर और डायरी में पीएम मोदी की तस्वीर छपने के बाद हो रहे विरोध को देखते हुए पीएमओ ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से जवाब मांगा है. केवीआईसी के कैलेंडर पर पीएम की तस्वी छपने के बाद राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम केजरीवाल और विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था.
एक अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा न करने शर्त पर बताया कि बिना इजाजत सरकारी या प्राइवेट एंटिटी की तरफ से प्रधानमंत्री की तस्वीर यूज करने का यह पहला मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पीएम मोदी को प्रभावित करने के लिए इस तरह का काम किया गया है. पीएम को खुश करने या फिर उनके करीब दिखने के लिए ऐसा पहली बार नहीं किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो और मोबाइल वॉलेट सर्विस फर्म पेटीएम के ऐड में भी प्रधानमंत्री की फोटो का बिना परमिशन यूज किया गया। खादी और ग्रामोद्योग आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है। इसका काम देश में खादी के उपयोग को बढ़ावा देने है। केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में आमतौर पर महात्मा गांधी के चरखा कातने वाले ऐतिहासिक फोटोग्राफ का इस्तेमाल होता आया है।
केवीआईसी के अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कैलेंडर और डायरी में महात्मा गांधी के फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं करने का यह पहला मामला नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले कम से कम पांच बार आम नागरिकों के फोटोग्राफ का इस्तेमाल इनमें हो चुका है। केवीआईसी के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री का फोटोग्राफ इसलिए यूज किया गया क्योंकि वह लोकप्रिय और खादी के भारी समर्थक हैं। अधिकारी ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में मोदीजी ने लुधियाना में महिला बुनकरों के बीच 500 चरखे वितरित किए थे। इस घटना की वजह से कैलेंडर पर उनका फोटो छापने का फैसला हुआ।
2015 में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए केवीआईसी के प्रमुख वी के सक्सेना ने बताया कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से खादी को बढ़ावा मिला है। 2015-16 में खादी की बिक्री 34 फीसदी बढ़ी, जबकि उससे पहले के दशक में इसमें 2-7 फीसदी का इजाफा हुआ था।
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