यौन अपराधो से बच्चो को सरंक्षण के लिए बनाए गए कानून में बच्चे की आयू 18 वर्ष निर्धारित की गई है. यानि 18 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे के साथ किए गए यौन अपराध को बलात्कार माना जाए गा. लेकिन आईपीसी में यह आयु 15 वर्ष है.
नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने अपने संगठन बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से इस सम्बंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचइका दाखिल की है, इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्यन्यायधीश जे.एस.खेहर सरकार को एक नोटिस जारी कर कानूनो के इस टकराव को देखने के लिए कहा है. कोर्ट ने सरकार को चार महीने का समय दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर केंद्र सरकाए चार महीने में इस का समाधान नहीं करती है तो याचिका कर्ता अदालत में याचिका दायर करे.
आई पी सी के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 15 वर्ष से कम आयू की अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बंध बनाता है तो उसे बलात्कार माना जाएगा. कैलाश सत्यार्थी की याचिका का मूल हिस्सा यह है कि जब बाल विवाह प्रतिबंधित है तो 15 वर्ष से कम को बलात्कार क्यो लिखा गया है, इसे बढा कर 18 वर्ष किया जाना चाहिए.
असल में 1992 में बच्चो से सम्बंधित सन्युक्त राष्ट्र के प्रोटोकोल पर भारत की ओर से दस्तख्त किए जाने के बाद कई कानूनो में बदलाव किया जाना था, ताकि बच्चो से जुडे सारे कानूनो में सयुंक्त राष्ट्र के प्रोटोकोल क्एएअनुरूप सारे कानूनो में 18 वर्ष से नीचे आयू के बच्चे को कानून बच्चा माने. लेकिन अभी किसी भी कानून में बदलाव नहीं किया गया. जैसे संसद के विगत सत्र में बाल श्रम के सम्बंध में पारित नए कानून में भी 14 वर्ष की आयू तक बाल श्रम प्र्तिबंधित किया गया है.
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