लोढ़ा समिति और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के विवाद में बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को हटा दिया है. ठाकुर के अलावा अजय शिर्के पर भी गाज गिरी है. शिर्के को बोर्ड के सचिव पद से हटाया गया है. यह फैसला लोढ़ा समिति की सिफारिशें ने मानने के चलते सुनाया गया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और जाने-माने वकील फली नरीमन को उन लोगों के नाम सुझाने के लिए कहा है, जो एक प्रबंधक के नेतृत्व में काम करने वाली समिति में शामिल हों. यह समिति बीसीसीआई के संचालन का कामकाज देखेगी. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तिथि निर्धारित की है. इसी दिन बीसीसीआई अंतरिम बोर्ड की घोषणा होगी. न्यायालय ने कहा कि वह उसी दिन प्रबंधक की नियुक्ति का आदेश भी जारी करेगा.
अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना करने के केस चलता रहेगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ठाकुर ने कोर्ट में झूठ बोला और गलत सबूत भी पेश किए थे.ठाकुर ने शशांक मनोहर को चिट्ठी लिखकर पूछा था यदि लोढ़ा समिति की सिफारिशें सरकारी हस्तक्षेप हैं या नही. आईसीसी के नियमों के अनुसार सरकारी हस्तक्षेप करने पर बोर्ड की सदस्यता रद्द कर दी जाती है.
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि अंतरिम प्रबंधन के तहत बीसीसीआई के सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अध्यक्ष का कामकाज संभालेंगे जबकि संयुक्त सचिव, सचिव का कामकाज देखेंगे. बिशन सिंह बेदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह खुशी का पल नहीं है क्योंकि हमें इस स्थिति में नहीं होना चाहिए था. पर कुछ लोगों ने क्रिकेट को अपनी जागीर समझ लिया था.”
अनुराग ठाकुर ने टविट्र पर अपना एक वीडिओ जारी किया , जिस में उन्होने कहा --" मुझे भारतीय क्रिकेट की सेवा करने का सम्मान मिला. इतने वर्षो में भारतीय क्रिकेट प्रशासन और प्रदर्शन के तौर पर अपने सर्वश्रेष्ठ दौर में पहुंची. बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ है, जिसमें सभी प्रक्रियाएं परिभाषित हैं. भारत के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अवसंरचना है और बीसीसीआई की मदद से राज्य क्रिकेट संघों इनकी बहुत अच्छी तरह देखरेख कर रहे हैं.
अनुराग ने कहा कि भारत में पूरी दुनिया की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावशाली खिलाड़ी हैं. मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी. यह लड़ाई खेल संगठन को स्वायत्तता दिलाने की थी. मैं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं. अगर सर्वोच्च न्यायालय को लगता है कि बीसीसीआई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के अधीन बेहतर काम कर सकती है, तो उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय क्रिकेट उनके मार्गदर्शन में भी अच्छा करेगा."
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