पश्चिम बंगाल के हावड़ा ज़िले में स्थित इलाक़ा धूलागढ़ कुछ दिनों पहले सांप्रदायिक तनाव से प्रभावित था. धूलागढ़ से लौटकर वहां के हालात स्थानीय पत्रकार कल्पना प्रधान की ज़ुबानी ( बीबीसी के लिए ):
मैं जब धूलागढ़ गांव पहुंची तो मैंने देखा कि वहां लोग बहुत डरे हुए हैं. काफी ज़ोर देकर बुलाने के बाद ही कोई चेहरा दिखाने के लिए तैयार हुआ. गांवों में ज़्यादातर महिलाएं ही दिखीं.
पहले जो गांव मिलता है, वह हिंदुओं का है. वहां जितने भी लोग थे, मैंने उनसे बात की. वहां कई घरों और दुकानों को जलाया गया था. रास्ते में कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे.
वहां बम से हमला किया गया था और बम के टुकड़े अब भी इसकी गवाही दे रहे थे जिसपर रस्सियां बंधी हुई थीं.
वहां दो तीन लोगों से बात हुई क्योंकि बुधवार से कुछ परिवार गांव लौटने लगे हैं. हालांकि ये लोग अपने घरों को सिर्फ़ देखने के लिए आ रहे हैं.
गांव में सुरक्षा के सख़्त इंतजाम किए गए हैं और पुलिस ने अपना डेरा डाल रखा है. पुलिस के नौ जवानों के साथ एक सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है.
मैंने पुलिस के लोगों से भी बात की. पुलिस वहां अब तक किसी को जाने नहीं दे रही थी.
चूंकि लोग अब गांव में घुस पा रहे थे इसलिए हमें भी गांव में दाख़िल होने का मौक़ि मिल गया जहां मैं कुछ लोगों से बात कर पाई.
एक गांव है जहां हिंदुओं की आबादी है. लेकिन गांव हिन्दू और मुसलमानों के बीच बंटा हुआ है. गांव के पिछले हिस्से में हिन्दू परिवार रहते हैं.
मैं मुसलमान इलाक़े के परिवारों के घर भी गई. काफ़ि खोजबीन के बाद मैं चार-पांच परिवारों से मिल पाई. वहां ज़्यादातर औरतों से ही बात हो पाई.
उन महिलाओं का कहना था कि 13 तारीख़ को ईद-उल-नबी की जुलूस के बाद ही हालात बदले. गांव के लोग इस बारे में ज़्यादा खुलकर बात नहीं कर रहे हैं. लेकिन जो प्रभावित परिवार हैं मैंने उनसे बात की.
उन्होंने बताया कि मुसलमान नहीं चाहते थे कि ईद-उल-नबी की जुलूस हिन्दुओं के इलाक़े से होकर गुज़रे. वहीं हिन्दुओं को ऐसा पता चला कि जुलूस उनके इलाक़े से होकर निकल रही है.
इसपर दोनों पक्षों के बीच बात बढ़ी और 13 तारीख़ को छिटपुट झगड़े हुए. लेकिन 14 तारीख़ को दोपहर में दुकानों में आगज़नी और लूटपाट की घटनाएं हुईं.
ताज़ा हाल ये है कि लोग अपने घरों में लौटने से डर रहे हैं. दोपहर में मैंने पुलिस से बात की तो उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है.
लेकिन जब मैंने गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके घर जला दिए गए हैं और टूट गए हैं तो वे वहां कैसे रह पाएंगे.
दिन के समय में वे अपने घरों को देखने के लिए लौटे हैं. लेकिन रात का वक़्त वहां नहीं गुज़ार सकते क्योंकि वे काफ़ी ख़ौफ़ज़दा हैं.
पुलिस ने एक जवान ने बिना नाम ज़ाहिर किए बताया है कि वहां 9 जवानों के साथ इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर मौजूद हैं. वे वहां एक हफ़्ते से तैनात हैं.
पुलिस जवान ने कहा कि वहां सांप्रदायिक दंगा हुआ है और वे वहां शांति बहाल करने के लिए तैनात हैं.
पुलिस जवान ने कहा कि लोग लौट कर आ रहे हैं लेकिन समस्या हो रही है. लोग डरे हुए हैं. उनके पास घर नहीं हैं. उनके घर जल गए हैं.
एक महिला ने अपना नहीं बताया लेकिन उन्होंने उस दिन अपने ऊपर हुए ज़ुल्म को बयां किया. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनका और उनके बच्चे का गला दबाया, उनके पति के गले पर चाकू लगाकर धमकाया और ईंट और बम फेंककर हमला किया.
( courtesy : BBC.COM )
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