नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोशियारी केंद्र सरकार की ओर से रानीबाग की एचएमटी फैकट्री बंद किए जाने के फैसले से बेहद खफा थे. वह कोशिश कर रहे थे कि फैक्ट्री फिर से शुरु हो जाए, उन्होने अपने व्यक्तिगत प्रयासो से कर्मचारियो के क्वार्टरो में बिजली शुरु करवा दी थी और फैक्ट्री दुबारा शुरु करने की गुहार लगा रहे थे, इसी बीच सरकार ने फैक्ट्री बंद करने का निर्णय ले लिया.
अब एचएमटी घड़ी कारखाना स्थाई रूप से बंद करने के केन्द्र सरकार के आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. 146 कर्मचारियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुये जस्टिस राजीव शर्मा की एकलपीठ ने ये आदेश दिया है. अदालत की शुरुआत तो अच्छी है. ;लेकिन कोर्ट में मामला लंबा चलने के कारण और केंद्र सरकार की मंशा को देखते हुए अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में एचएमटी प्रबंधन और केन्द्र से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
याचिका में कहा गया है कि वेतन और कार्यावधि का विवाद जब तक नहीं सुलझता है तब तक फैक्ट्री को कैसे बंद किया जा सकता है. दो एक्सपर्ट एजेंसियों की कंसल्टेंट रिपोर्ट को भी आधार बनाते हुये कहा गया कि इस रिपोर्ट में भी कहीं पर कारखाना बंदी के बारे में जिक्र नहीं है.सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने न सिर्फ केन्द्र सरकार के 17 नवम्बर 2016 के क्लोजर ऑर्डर पर रोक लगा दी बल्कि तल्ख टिप्पणी करते हुये कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है कि सरकारी कारखाने ही बंद हो रहे हैं. उत्तराखंड में तो कारखानों की जरूरत है.
गौरतलब है कि इस मामले में हल्द्वानी के रानीबाग में मौजूद इस फैक्ट्री के तमाम कर्मचारी पहले आंदोलन भी कर चुके हैं.स्थानीय सांसद ने भी फैक्ट्री बंद न किये जाने का आश्वासन दिया था लेकिन 17 नवम्बर को स्थाई रूप से एचएमटी घड़ी फैक्ट्री बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया और तमाम कर्मचारी रोजी-रोटी को तरस रहे हैं.
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