लगता है सरकार ने यह ठान रखा है कि चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर की भेजी हुई हाई कोर्ट जजो की पूरी लिस्ट को मंजूरी नहीं देनी है. जब कि टी.एस.ठाकुर अपने रिटायर होने से पहले सरकार को हर मौके पर जजो की नियुक्ति याद करवाने पर अडे हुए हैं. पिछले हफ्ते ही दोनो और से तलवारे लहरा ली गई थी. मोदी सरकार ने ठाकुर की रहनुमाई वाले कोलिजियम की भेजी हुई ज्यादातर सिफारिशे तो मान ली थी, पर करीब 40 नाम वापस भेज दिए थे, ठाकुर उन्ही 40 नामो पर अडे हुए हैं. आज शनिवार को फिर टी.एस ठाकुर ने कहा कि सरकार हाई कोर्ट के जजो की नियुक्तिया रोके हुए ऐ, जब कि जजो के 500 पद खाली पडे हुए हैं.
कानून मंत्री रविशंकर प्रशाद ने अपना पुराना जवाब दोहराते हुए कहा कि सरकार ने इसी साल 120 जजो की नियुक्ति की है और 1990 से ले कर अब तक हर साल ज्यादा से ज्यादा 120 जज ही नियुक्त होते रहे हैं. उन्होने चीफ जस्टिस पर पलट वार करते हुए कहा कि निचली अदालतो में 5000 पद खाली पडे हैं , उस के लिए कौन जिम्मेदार है. उनोने कहा कि वे नियुक्तिया तो न्यायपालिका ने करनी हैं , फिर वे क्यो नहीं कर रही.
सरारी सूत्रो का कहना है कि सरकार ने जिन नामो को वापस भेजा ऐ , कोलिजियम को पहले उन की जांच करवानी चाहिए. सूत्रो ने कहा कि सरकार चीफ जस्टिस की किसी धमकी या ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेगी. सूत्रो का कहना है चीफ जस्टिस कुछ नामो को क्लियर करवाना चाहते थे, लेकिन सरकार ने वही नाम रोक दिए हैं, इस लिए टकराव पोऐदा हो गया है, और चीफ जस्टिस इसी लिए रोज रोज बयान दे रहे हैं.
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