अजय सेतिया / नया खुलासा चौंकाने वाला है, रिजर्व बैंक ने खराब हो चुके और नष्ट करने के लिए वापस पहुंचे 100-100 रुपए के सडे गले नोट बैंको में भेजने का फैसला किया है. आज दोपहर बाद से नोट बदलने बैंक में पहुंचने वालो को बैंक सडे गले नोट थमाएगा. हालांकि रिजर्व बैंक ने ऐसा कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रो से मिली इस खबर से यह पुष्टि हो गई है कि नोट बदलने का एलान बिना किसी तैयारी के किया गया था, यन्हा तक कि रिजर्व बैंक को भी वविश्वास में नहीं लिया गया था. अन्यथा बैंक ही प्रधानमंत्री को बता देता कि वह बदलने वाले नोट अगले 7-8 महीने पूर्ति नहीं कर सकेगा.
पता चला है कि रिजर्व बैंक ने सरकार को दो टूक शब्दो में बता दिया है कि 500 के नए नोटो की आपूर्ति में 7-8 महीने लगेंगे.खुलासा हुआ है कि 2015-16 में 21 बिलियन नोट छापे गए थे. अगर बैंक डबल शिफ्ट में भी काम करे तब भी 24 बिलियन छापने की क्षमता है.
प्रधानमंत्री ने जब 8 नवम्बर को 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया तब मार्केट में 22 बिलियन के 500 और 1000 के नोट थे. अब तक 2000 रुपए के 3.5 बिलियन नोट छापे जा चुके हैं, इस से 1000 रुपए के पहले से उपलब्ध नोटो की भरपाई हो जाती है. लेकिन सब जानते हैं कि 2000 रुपए के नोट की मार्केट में खप्त बहुत कम होती है. मार्केट को ठीक हालत में लाने के लिए 500 रुपए के 14 बिलियन नोटो की जरुरत है. छपने की क्षमता को देखते हुए इन्हे छापने के लिए रिजर्व बैंक को 7-8 महीने का वक्त चाहिए.
फिर इतने नोटो को देश भर में बैंको में पहुंचाने के लिए एक साल का वक्त लगेगा. इस लिए सरकार का यह दावा कि सारी प्रक्रिया 50 दिन में पूरी हो जाएगी , हवा-हवाई ही है. यह सारी हकीकत सामने आते ही भाजपा में खलबली मच गई है, क्योंकि अगर 50 दिन में मार्केट ठीक से चलने लायक न हुई, मार्केट में मंदी छाई रही तो उत्तरप्रदेश विधानसभा का चुनाव स्वाहा हो जाएगा.
भाजपा के कई नेता अब कहने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी ने ब्यूरोक्रेसी के झांसे में आ कर जल्दबाज़ा दिखा दी.मायावती ने इसीलिए नोटो को बडा मुद्दा बना कर पेश करना शुरु किया है.
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