भारत की मोदी सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के उद्देश्य से 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया. भारत नोटबंदी को अपनाने वाला पहला देश नहीं रहा है. उससे पहले भी कई देश अलग अलग मकसद से इस तरीके को अपना चुके हैं.
इनमें ऑस्ट्रेलिया से लेकर सोवियत संघ जैसे देशों के भी नाम शामिल है. आज हम ऐसे ही देशों के बारे में बात करेंगे जहां पहले नोटबंदी के हथकंडे को अपनाया गया और उसके क्या कुछ परिणाम देखने को मिले.
1. नाइजीरिया
1984 में मुहम्मदु बुहारी की सरकार के दौरान नाइजीरिया ने नई मुद्रा जारी की थी लेकिन देश में किसी ने भी इस नई मुद्रा को नहीं अपनाया और अर्थव्यवस्था औंधे मुंह आ गिरी.
2. घाना
1982 में घाना ने अपने 50 सेडिस के नोटो पर प्रतिबन्ध लगा कर टैक्स चोरी पर लगाम लगाने की कोशिश की लेकिन इसके चलते लोग अपने पुराने नोटों से संपत्ति खरीदने लगे और अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गयी.
3. पाकिस्तान
पकिस्तान दिसम्बर 2016 से नए डिजाइन के नोट जारी करने वाला है. इसके लिए लगभग डेढ़ साल पहले ही पाकिस्तानी सरकार ने टेंडर जारी कर दिया था. वहां भी लोगों को उनके पुराने नोटों के बदले नए नोट मिलेंगे.
4. ज़िम्बावे
ज़िम्बावे में एक समय पर एक हज़ार ट्रिलियन डॉलर का नोट भी चलन में रह चुका है. यह फैसला राष्ट्रपति रोबर्ट मुगाबे ने राजस्व के घाटे को कम करने के लिए लिया था. इसके चलते ट्रिलियन डॉलर के नोट की कीमत 0.5 यूएस डॉलर तक गिर गयी थी.
5. नार्थ कोरिया
नार्थ कोरिया में किम जोंग द्वितीय ने 2010 में नोटबंदी का फैसला लिया था जिसके चलते लोग भूखे प्यासे सड़कों पर आ गए थे. यह फैसला ब्लैक मार्किट पर शिकंजा करने के लिए लिया गया था.
6 सोवियत संघ
सोवियत संघ के विघटन के पीछे नोटबंदी भी एक कारण रह चुका है. दरअसल मिखाइल गोर्बाचेव ने बड़े नोटों पर रोक लगा कर ब्लैक मार्किट से बचना चाहा था लेकिन यह कदम आत्मघाती साबित हुआ.
7. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया प्लास्टिक के बने नोट जारी करने वाला पहला देश था. हालांकि इसका मकसद सिर्फ प्लास्टिक के नोटों से कागज के नोटों को बदलना था इसलिए इसका अर्थव्यवस्था पर खासा प्रभाव नहीं पड़ा.
8. म्यांमार
म्यांमार में 1987 में फ़ौज ने काले धन के 80 प्रतिशत के नोटों को बैन कर दिया लेकिन इसके चलते देश भर में अफरा तफरी का माहौल बन गया था और इसके चलते कई लोगों की मौतें भी हुई.
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