पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब पाले हरियाणा मूल के दिल्ली के मुख्यमंत्री सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर बुरे फंसे हैं. पजाब का पक्ष लिया तो हरियाणा दिल्ली का पानी बंद कर देगा. हरियाणा का पक्ष ले तो पंजाब में सीएम बनने का ख्वाब पूरा नहीं होगा. इस लिए तीन दिन सेर चुप्पी साधे हैं, जबकि पन्जाब हरियाणा के मुख्यमंत्रियो में जुबानी जंग जारी है. इतना ही नहीं पजाब की कांग्रेस और अकाली दल में राजनीतिक जंग खून देंगे,पर पानी नहीं देंगे के जुमलो तक फुंच गई है.
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने सतलुज-यमुना लिंक नहर समझौते पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया, पंजाब के सारे कांग्रेसी विधायको ने भी इस्तीफे दे दिए.पर आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल की चुप्पी बरकरार है. अमरेंद्र सिंह ने शनिवार को केजरीवाल को कटघरे में खडा करत्ये हुए पूछा कि वह किधर हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार के 2004 के नियम को असंवैधानिक करार दिया है. इस नियम के तहत पंजाब सरकार हरियाणा को उसका हिस्सा देने से मना कर सकती है.
अमरिंदर ने कहा कि केजरीवाल ने अब तक राज्य के पक्ष में एक भी शब्द नहीं कहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुप्पी का मतलब क्या है. एक आधिकारिक बयान में अमरिंदर ने कहा कि केजरीवाल को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर वह पंजाब के साथ हैं या हरियाणा के साथ या फिर दिल्ली के साथ हैं.
उन्होंने कहा कि पंजाब के पानी को हरियाणा या दिल्ली को देने की अनुमति आप देंगे. कांग्रेस ने सतलुज-यमुना लिंक नहर पर अबोहर-गंगानगर राजमार्ग पर खुईन्या सरवर गांव में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. खुईन्या गांव फजिल्का जिले में आता है और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लागू होने से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र होगा.
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर विरोध जताते हुए विपक्ष के नेता चरणजीत सिंह चन्नी सहित कांग्रेस के सभी 42 विधायकों ने विधानसभा सचिव शशि लखनपाल मिश्रा को शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया. अमरिंदर के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक विधेयक पारित कराया था, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, चंडीगढ़ और दिल्ली को सतलुज-यमुना लिंक नहर से पानी नहीं देने की बात कही गई थी.
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