नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच वार्ता के बाद भारत और जापान ने असैन्य परमाणु ऊर्जा को लेकर एक ऐतिहासिक करार पर मुहर लगाई है. इस करार से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा और आर्थिक संबंधों में गति लाने और अमेरिका स्थित कंपनियों को भी भारत में परमाणु संयंत्र लगाने में सहायता मिलेगी.
जापान ने पहला ऐसा देश है जिसने पहली बार किसी ऐसे देश के साथ परमाणु डील की है जिसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर साइन नहीं किया है. 11 नवंबर को ही विएना में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) की मीटिंग होनी है, जिस ग्रुप में भारत की एंट्री का मुद्दा उठने के आसार हैं. चीन ने भारत की एंट्री पर अडंगा लगा रखा है.
( बाद में जारी साझा बयान में भारत और जापान ने दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) में सीमा संबंधी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हुए कहा कि मामले से जुड़े पक्षों को ‘धमकी अथवा ताकत का इस्तेमाल’ नहीं करना चाहिए. दोनों देशों की ये टिप्पणिया चीन को नागवार हो सकती हैं.)
पीएम शिंजो अबे जब भारत आए थे तब दोनो देशों ने असैन्य परमाणु उर्जा सेक्टर में सहयोग के लिए एक व्यापक सहमति बनाई थी लेकिन कुछ तकनीकी और कानूनी पहलू सुलझ नहीं पाए थे इसलिए इस पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया था.
विदेश मंत्रालय ने ट्विट कर इस बारे में जानकारी दी थी. भारत अमरेका, जापान समेत 11 देशों के साथ परमाणु डील कर चुका है, लेकिन जापान के साथ डील खास हुई. न्यूक्लियर एनर्जी प्लांटों में सुरक्षा के लिहाज से जापान के इंतजामों को विश्व में सबसे बेहतरीन माना जाता है. फुकुशिमा में न्यूक्लियर प्लांट में हादसे के बाद जापान में परमाणु ऊर्जा को लेकर राय कुछ खास अच्छी नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में संबोधित करते हुए कहा कि भारत और जापान के बीच समझौते से इस क्षेत्र में स्थायित्व और शांति. पीएम मोदी ने शिंजो अबे को एनएसजी में भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए भी धन्यवाद किया. पीएम मोदी ने दोनों देशो के बीच हुए असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते को ऐतिहासिक बताया.
उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच मजबूती को दर्शाता है. पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश आपसी फायदे के लिए वित्तीय और तकनीक क्षेत्र में एक दूसरे की विशेषज्ञताओं का लाभ उठाएंगे.
स्वरूप ने ट्विट करते हुए कहा कि हरित और स्वच्छ विश्व के लिए एक ऐतिहासिक करार . पीएम मोदी और पीएम आबे ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते के आदान प्रदान के गवाह बने. इस करार से भारत-जापान में परमाणु तकनीक का निर्यात कर सकेगा.
अन्य देशों में अमेरिका, रूस, मंगोलिया, फ्रांस, नामिबिया, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना, कजाखस्तान, कनाडा और आस्ट्रेलिया शामिल हैं.
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