वित्त मंत्री अरुण जेतली ने दूरदर्शन से बात करते हुए हुए बिना कांग्रेस का नाम लिए कहा कि जो लोग जल्दबाजी में उठाया गया और मीन मेख निकालने वाले राजनीतिक तर्क दे रहे हैं, उन के सारे सारे तर्क काला धन का समर्थन वाले हैं.
कालाधन मानवाधिकार तो नहीं
वामपंथियो और तथाकथित बुद्धिजीवियो की ओर से पिछले ढाई साल से सरकार पर मानवादिकार हनन का आरोप लगाए जाने पर कडा प्रहार करते हुए जेतली ने कहा कि काला धन मानधिकार नही. कच्चे और पक्के बिल वाला चलन पर अब रोक लगेगी. आधिकारिक आदान-प्र्दान बढेगा. रियल एस्टेट पर बडा असर पडेगा.
कानूनी कार्रवाई होगी
अगर कोई बडी मात्रा में पैसा जमा करवाते हैं ,और पैसा पहले से घोषित नहीं है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी.
किसान भी दायरे में
अरुण जेतली ने कहा कि किसानो को भी मुक्त नहीं किया जाएगा. वे टेक्स से मुक्त हैं, लेकिन उन्हे घर में कैश रखने को तो नहीं कहा हुआ था. हम ने आतंकवाद में उपयोग हो रहे धन और काले धन पर वार किया है. लोग अपना काला धन बदलने के लिए किसानो का इस्तेमाल कर सकते हैं, इस लिए किसान मुक्त नहीं होंगे.
राजनीति पर गहरा असर
उन्होने कहा कि सरकार की ओर से उठाए गए कदम से निश्चित ही राजनीतिक असर भी होगा, राजनीतिक दलो पर असर पडेगा. हम राजनीतिक चंदे को भी नियंत्रित करेंगे, धीरे धीरे उसी तरफ आगे बढ रहे हैं. हम बैंकिग ट्रांजेक्शन को बढावा देंगे, इस से काला धन समाप्त हो जाएगा.
मोदी रुटीन सरकार चलाने नहीं आए
वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 2004 से 2014 तक तक देश में रूटीन सरकार चल रही थी लेकिन मोदी रूटीन सरकार चलाने नहीं आए हैं. इससे काले धन पर लगाम लगेगी. सरकार कैशलैश अर्थव्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होने कहा कि लोगों को थोड़ी परेशानी तो जरूर होगी लेकिन देश का भला होगा. बड़ा फैसला अचानक ही लेना पड़ता है.
ईमानदारी से जीने वाले खुश
इस फैसले से लोगों को हो रही मुश्किलों पर जेटली ने साफ तौर पर कह दिया कि ईमानदारी से जीवन जीने वाले लोग इससे खुश हैं. साधारण परिवार में 40-50 हजार रुपये ही होते हैं लेकिन काला धन रखने वाले लोग जरूर इससे परेशान होंगे. उन्होंने लोगों को सलाह दी कि इन दिनों कैश की जगह चैक का इस्तेमाल करें और लोग घर पर रखे नोट को बैंक में जाकर बदल सकते हैं.
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