भोपाल में साम्प्रदायिक तनाव

Publsihed: 31.Oct.2016, 23:16

भोपाल. विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि सभी 8 आतंकी ईंटखेड़ी इज्तिमा स्थल पहुंचना चाहते थे. जहां से वे 26, 27 एवं 28 नवंबर को होने वाले इज्तिमा में देश सहित दुनिया के कोने-कोने से आने वाली जमातों में शामिल हो आसानी से प्रदेश के बाहर निकलने का प्लान बनाए हुए थे.तब तक उन का वहाँ की एक मस्जिद में रुकने का प्रोग्राम था. इस सम्बंध में आज भोपाल में परचे बंटे हैं और साम्प्रदायिक तनाव शुरु हो गया है.

कश्मीर थी मंजिल

कुछ दिन छिप कर उनकी मंजिल कश्मीर थी, जहाँ पहुँच कर वे पाकिस्तानी आतंकियों से मिलकर कोई बड़ी कार्रवाई करने का मंसूबा बनाये हुए थे. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इज्तिमा देश के हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित किया जाता है, जहां देश सहित दुनिया के अनेक देशों से जमातें आती हैं. उन्हीं जमातों 
में शामिल होकर ये आतंकी आसानी से प्रदेश के बाहर पहुंच जाते.

ईंटखेडी का रास्ता नहीं था मालूम

ये आठों आतंकी भोपाल के बाहर के थे, इसलिए उन्हें ईंटखेड़ी इज्तिमा स्थल का रास्ता सही तरीके से पता नहीं था. केवल उन्हें इस बात की जानकारी थी कि इज्तिमा स्थल जेल से उत्तर की दिशा में बस 8 से 10 किमी की दूरी पर है, जहां वे आसानी से पनाह पा सकते हैं, क्योंकि कुछ ही दिनों में इज्तिमा में शामिल होने वाली जामातों का आना आरंभ होने वाला है. सभी आतंकियों को दिशा तो मालूम थी, परंतु रास्ता मालूम नहीं था. जब वे रात के अंधेरे में जेल से बाहर निकले तो कुछ ही दूरी पर करोंद चौराहे की ओर स्थित बडवाई मार्ग को पकड़कर परेवाखेड़ा होते हुए पैदल चल खेजड़ादेव पहुंचे. जहां उन्होंने एक घर से इज्तिमा स्थल का मार्ग भी पूछा था. सभी आंतकी दो, तीन और पाँच की संख्या में आगे पीछे चल रहे थे.

नमस्कार कहा था आतंकवादियो ने

सुबह जब अचारपुरा निवासी मोहन मीणा किसी कार्य से बाहर आया तो उससे अपनी पहचान छिपाने हेतु आंतकियों ने नमस्कार भी किया, ताकि वे आसपास के क्षेत्र के जाने पहचाने लगें. व्हाट्सऐप में चली फोटो हुई मददगार साबितवर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में व्हाट्सऐप का चलन बढ़ गया है, जो इस एनकाउंटर में बड़ा मददगार साबित हुआ है. दरअसल जिन आतंकियों ने मोहन मीणा से नमस्कर किया था, उन्हें वह उस वक्त तो नहीं पहचान पाया, परंतु जब उसने मोबाइलों पर जेल से भागे 
आतंकियों की फोटो देखी तो उसने अन्य लोगों से कहा कि इन लोगों ने तो मुझसे अभी नमस्कार किया था. बस क्या था, सभी ग्रामीण एक हो गए. मोहन मीणा के पास अपने क्षेत्र के थाना प्रभारी जितेन्द्र पटेल का नंबर था, जो वर्तमान में मिसरोद थाना पदस्थ हैं. 
वह पूर्व में जेल क्षेत्र थाना गांधीनगर में पदस्थ थे. सभी जगहों पर पहले से ही नाकाबंदी चल रही थी.

चारो तरफ से पन्हुची पुलिस

इसी कड़ी में टीआई जितेन्द्र पटेल ने मिली सूचना की जानकारी आला अधिकारियों को दी. इसके बाद आला अधिकारियों ने मौके पर सबसे पहले गांधीनगर, गुनगा, निशातपुरा की पुलिस टीमों से पहुंचने को कहा. साथ ही एसटीएफ की टीम को भी तत्काल पहुंचने के निर्देश दिए. आईजी योगेश चौधरी भारी पुलिस बल के साथ रवाना हुए. जब तक पुलिस की टीम वहां पहुंचती, उस वक्त तक क्षेत्र के विधायक विष्णु खत्री, मण्डल अध्यक्ष तीरथ मीणा, अनिल चौकसे ने अन्य ग्रामीणों के साथ आंतकियों का पता लगाया और एसटीएफ की टीम ने पहुंचते ही पहले तीन आंतकियों को मारा. इसके बाद भाग रहे अन्य पांच को भी मार गिराया.

जेल के अंदर सब कुछ पहुंचना आसान

सूत्रों का कहना है कि आंतकियों को मिलने आने वाले लोगों ने जेल में पदस्थ कुछ आरक्षकों और प्रहरियों की मदद से हथियार, कपड़े, काजू, किशमिश सहित अन्य सामग्री उपलब्ध कराई थी. वहीं यह भी जानकारी आ रही है कि आतंकियों से सबसे ज्यादा उनके 
घर वालों सहित अन्य लोग मीठी एवं बकरा ईद पर मिलने आए थे. इसी वक्त उन्हें ज्यादातर सामान उपलब्ध हुआ है. इन सभी चीजों का खुलासा जांच में साफ हो जाएगा.

 

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