रविवार को डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में रमेशभाई औझा की राम कथा का पहला दिन था. कथा से पहले साबला के भाटौली गांव से निकली ताम्र कलश यात्रा में सारा शहर उमड पडा. राम कथा का आलम यह था कि टेंट से चार गुना लेाग धूप में ही कथा सुनते रहे. कोई एक लाख लोग कथा में उमडे होंगे. मावभुमि पर श्रद्धा का जन सैलाव नज़र आ रहा था. बेणेश्वर धाम मावजी की जयकारों से गुंज उठा.
रमेश भाई औझा ने सात दिवसीय कथा का श्रीगणेश करते हुए कहा आज गिरता हुआ चरि़त्र चिन्तन का विषय है, गीता में कही भी हिन्दू शब्द का वर्णन नहीं है, गीता अपने आप में वैश्विक है.
भागवत कथा के प्रथम दिन रजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश के सीमांत जिलो से संतो और श्र्द्धालुओ की भी भारी भीड उमडी थी. गृहमंत्री गुलाबचंद कटारियां सहित विधायक व जनप्रतिनिधि कथा सुनने पहुॅचे.
संत मावजी की कर्मस्थली ,सोम माही व जाखम नदियों के संगम स्थल बेणेश्वरधाम पर नवनिर्मित राधाकृष्ण मंदिर का जीणोद्र्वार व गौशाला को लेकर धाम पर कथा का आयोजन किया गया है. धर्मसभा के दौरान कथावाचक भाईश्री ने बताया कि मनुष्य शरीर में ही भगवान का विराट स्वरूप देखा जा सकता है. बशर्त वह निष्काम ,स्वयं को दीन मानकर ईश्वर का भजन कीर्तन व पूजा अर्चना करे।
भागवत कथा में मानव जीवन को साकार,व्यवहारिक जीवन जीने की कला प्राप्त होती है। धर्मसभा में उन्होनें बताया कि मनुष्य का मनुष्य के साथ कैसा व्यवहार करे,मनुष्य का व्यवहार जीवों के साथ कैसा हो तथा मनुष्य का व्यवहार प्रकृति के साथ कैसा हो. इन तीनों प्रश्नों का मार्मिकता,मर्मज्ञता से पौराणिक कथा के दृष्टान्तों के साथ बताया। मनुष्य अपनी जड मति से देखता है तो उसे जड,नकारात्म विचार पैदा होते है. उसे सदैव धर्म मार्ग पर रह कर , धार्मिक कार्यो में नि:स्वार्थ भाव से कार्य सम्पादित करने में तन मन व धन से सहयोग करना चाहिए।
धर्मनीति से कमाई में १० फीसदी दान करे ताकि अपना भावी जीवन सफल हो सके. ईश्वर,धर्म नित कार्यो में किया गया दान सफल ही सफल होता है। ईश्वर कण-कण व क्षण-क्षण में व्यापत है. बताया कि मानव के सांसारिक जीवन में दु:ख सुख सहित अर्थ,भोजन दान करना चाहिए. उन्होने कहा कि मनुष्य को सदैव अंहकार से परे होना चाहिए,अंहकार मनुष्य को नश्वर कर देता है। धर्मसभा के दौरान नदियों,नालों,पेड,पौधों सहित अन्य जीवों पर अपने परिवार को समान प्रेम ,प्यार व वात्सल्य दे।.
रमेश भाई औझा ने कहा कि गीता में कही भी हिन्दू नाम का उल्लेख नही है , गीता अपने आप में वैष्विक है भले ही कोर्ट में लोग गीता पर हाथ रखकर झूठी सोगंध खा जाते है . उन्होने आज कल के हालात और मनुष्य के चरित्र में गिरावट का जिक्र करते हुए कहा कि इमारत ऊंची उठ रही है और चरि़त्र गिरता जा रहा है जो चिन्तन का विषय है . हालात यह कि आज लोग लहसुन प्याज नही खाते पर रिश्वत जरुर खा रहे हैं, जो सबसे बडा पाप है गरीबो से रिश्वत लेना गुनाह है.
धर्मसभा में मंहत अच्युतानंद महाराज,महेंद्रजीत मालवीय,विधायक गोपीचंद मीणा सहित साुध संतो ने भाईश्री का स्वागत व अभिनंदन किया इसके बाद विधायक मीणा ने भाई श्री का आशीर्वाद लेकर सभी मावभक्तों,श्रृद्वालुओं सहित दुर दराज क्षैत्र से आये लोगों का स्वागत किया.
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