शनिवार को गोवा में शुरु हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग थलग करने और रूस के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश करेंगे. रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ उन की इस यात्रा के दौरान भारत रूस में कम से कम 18 समझौते होने के आसार हैं. प्रधानमंत्री ब्रिक्स देशों के समूह को मजबूती देने की कोशिश करेंगे.
सम्मेलन के दौरान मोदी की चीन के राष्ट्रपति से भी अलग से मुलाकात होगी. ब्रिक्स देशों के समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रिका शामिल है. पाकिस्तातान को सम्मेलन में न्योता नहीं दिया गया. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक सहयोग पर खासा बल देंगे.
G7 देशों के लिए चुनौती माना जाता है ब्रिक्स
आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो ब्रिक्स देशों ने पहले ही आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं की तरह ब्रिक्स बैंक का गठन कर दिया था. ब्रिक्स खुद एक ऐसा समूह है जो G7 देशों के लिए चुनौती माना जाता है. ब्रिक्स के सभी देशों की जीडीपी मिल ले तो करीब 16 ट्रिलियन अमेरिकी डोलर्स के करीब आती है. हालांकि ये भी सच्चाई है कि रूस और ब्राजील हाल में आर्थिक संकट झेल रहे हैं और वहीं चीन का आर्थिक विकास भी स्थिर है.
आर्थिक स्थिति-ब्रिक्स की भूमिका पर होगी चर्चा
ऐसे में भारत ही है जिसके पास तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. जिसकी जीडीपी 2016-17 में 7.6 फीसदी के रेट पर बढ़ने का आशंका है. सरकार का कहना है कि गोवा में सम्मेलन के दौरान वैश्विक आर्थिक स्थिति और ब्रिक्स की भूमिका पर चर्चा की जाएगी.
वहीं भारत का खासा जोर आतंकवाद के मुद्दे पर होना है. हालांकि भारत दौरे से पहले चीन ने एनएसजी की सदस्यता समेत जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भारत को एक बार फिर झटका दिया है. लेकिन भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीन को इस मसले पर मनाने की कोशिश फिर से की जाएगी.
ब्रिक्स के साथ होगी बिम्सटेक समूह की बैठक
इस बार गौर करने लायक बात ये भी है कि 16 अक्टुबर को गोवा में ही बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) यानी बांग्लादेश, भारत, मयंमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल के समूह की बैठक भी साथ ही कराई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक इस बार बिम्सटेक में भारत, पाकिस्तान से अलग समूह को सार्क के रिज़िनल समूह के तौर पर और मजबूती देने की कोशिश करेगा. हालांकि जानकारों का कहना है कि बिम्सटेक को सार्क की अवाज़ में खड़ा करने के लिए ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों को बी साथ लाने की जरुरत पड़ेगी.
चीन के राष्ट्रपति से भी मिलेंगी पीएम मोदी
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ही पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात चीन के राष्ट्रपति से होनी है. जिसपर सभी की निगाहें होंगी. इसमें मसूद अजहर जैसे आतंकी के खिलाफ कार्रवाई और एनएसजी में भारत की सदस्यता का मामला भी उठाया जाएगा. यहीं नहीं भारत ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को रोकने की खबरों पर भी चीन से अपनी जरुरत जाहिर कर सकता है.
रूस के साथ रिश्तों में सुधारने की कोशिश
इसके अलावा पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी मिलेंगे. जिसमें रूस के साथ कुछ समय पहले रिश्तों में आई खटास को मिटाने की कोशिश होगी. गौरतलब है कि इतिहास में पहली बार रूस ने पाकिस्तान के साथ पाकिस्तान में जाकर सेन्य अभियान किया है. जिससे भारत के लिए असमंजस की स्थिति पैदा होती है.
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