शाहबानो जजमेंट विरोधी गैंग फिर सक्रिय

Publsihed: 13.Oct.2016, 23:12

नई दिल्ली. मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि तलाक तलाक तलाक कह कर औरत को बेघर करने वाला शरिया कानून भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं है. इतना ही नही मोदी सरकार के बने नए विधि आयोग ने देश की जनता से कामन सिविल कोड पर राय भी मांग ली है. ( आप भी 31 अक्तूबर तक lci-dla@nic.in पर अपनी राय भेज सकते हैं ) अरूण जेतली ने कहा है कि धर्म से सम्बंधित कानून संविधान में मिले बराबरी के अधिकार का हनन नहीं कर सकते. जो धर्म आधारित कानून ऐसा कर रहे हैं उन्हे बदलना होगा. कानून सविधान के अनुरूप बनाने पडेंगे. इसे समझने की जरुरत है.

उन्होने कहा कि इस लिए समय के साथ साथ पर्सनल ला परिवर्तित किए गए हैं. इस लिए सरकार ने तीन तलाक का कोर्ट में विरोध किया है. उन्होने कहा कि विधि आयोग की ओर से देश की जनता की रय ली जा रही है. कांग्रेस के रूख पर आपत्ति जताते हुए जेतली ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू, पटेल और आम्बेडकर सभी यूनिफार्म सिविल कोड के पक्ष में थे. उन्होने कहा कि देश में लागू सभी कानूनो को भारत के संविधान के अनुरूप होना चाहिए. उन्होने कहा कि राजीव गांधी ने गलत सलाह के आधार पर शाहबानो पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था. 

मुस्लिम महिलाओ को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार की गम्भीरता को देखते ही शाहबानो के मिले इंसाफ को नाइंसाफी में बदलने वाला सेक्यूलर ब्रिगेड फिर सक्रिय हो गया है.इसी गैंग ने राजीव गांधी को मुस्लिम वोट बैंक खोने का डर दिखा कर शाहबानो को सुप्रीम कोर्ट से मिले इंसाफ को संसद से कानून बनवा कर नाइंसाफी में बदल दिया था. मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने आज प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सारे मुस्लिम संगठन विधि आयोग का बायकाट करेंगे. बोर्ड ने कहा कि मोदी सारे देश को एक हेरे लाठी से न हाँके. 

तीन तलाक को लेकर चल रहे विवाद में आल इंडिया मुस्लिम इतेहाद मज्लिस के चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी कूद गए हैं. ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार को धर्म के मामले में दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने का विरोध भी जताया. उन्होंने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड भी स्वीकार नहीं किया जाएगा.उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी संस्कृति से रहना का हक है.ओवैसी ने सवाल उठाया कि हमारे भारत देश में कई जाति, संप्रदाय और इलाके के लोग रहते हैं. हरेक की अपनी संस्कृति है ऐसे में यहां यूनिफार्म सिविल कोड लागू नहीं की जा सकती है. उन्होंने साफ कहा कि केंद्र सरकार धार्मिक मामलों ने न ही कूदे तो ही उसके लिए अच्छा होगा.

बता दें कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को खत्म करने की राय दी है. इस मुद्दे को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड किसी भी हालत में मानने के लिए तैयार नहीं है. दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गुरुवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सरकार को इस तरह धर्म के मामले में दखल नहीं देना चाहिए. बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जमकर कोसा.बोर्ड ने सरकार को समझाते हुए कहा 'सबके लिए समान कानून' भारत के लिए अच्छा नहीं है. देश में कई तरह की संस्कृतियां हैं उनका सम्मान किया जाना चाहिए.

 

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