आजादी के लिए जंग लड रहे नेता जी सुभाष चंद्र बोस को भारत की जनता ने देश के लिए बेशुमार आभूषण दान दिए थे. नेता जी जब विमान में सवार हुए थे तो आभूषणो से भरे कई सूटकेस उन के पास थे. जवाहर लाल नेहरू ने विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने और उस में नेता जी के कथित तौर पर स्वर्गवासी होने की बात फैलाई थी. हालांकि देश की जनता इस कहानी को नही मानती,क्योंकि विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने तक की पुष्टि नहीं हुई थी. चलिए जवाहर लाल नेहरू की कहा मान भी ले तो वह आभूषण कहाँ हैं , जो 18400 केरेट के बताए जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नेता जी के सम्बंध में पुराने सभी सरकारी दस्तावेज जगजाहिर करने की घोषणा के बाद किस्त दर किस्त दस्तावेज जारी हो रहे हैं. आभूषणो के सम्बंध में 1958 का एक दस्तावेज जगजाहिर किया गया है. नेता जी पर खोज कर रहे अनुज धर ने आज इस दस्तावेज के जरिए जवाहर लाल नेहरू को कटघरे में खडा किया है. इस पत्र से खुलासा हुआ है कि अगस्त 1958 में केलिन तेकी नाम का एक जापानी व्यक्ति भारत के जापान दूतावास में आया था, जिस ने सुभाष चन्द्र बोस के इन आभूषणो के सम्बंध में भारत सरकार की मदद करने की पेशकश की थी. लेकिन अब इन दस्तावेजो के बाद नया सवाल खडा होता है कि इस पेशक्श के बाद नेहरू सरकार ने क्या किया.
इस पेशक्श के सम्बंध में जापान स्थित भारतीय दूतावास से राजदूत जी.बी.झा ने भारत सरकार के किन्ही अधिकारी मिस्टर आचार्य को पत्र लिख कर जानकारी दी थी कि हाल ही मे केलिन तेकी नाम का एक जापानी व्यक्ति भारतीय दूतावास में आया था और उस ने खुलासा किया था कि ये आभूषण ताजिम नाम के जिस व्यक्ति के कब्जे में हैं, उस ने इन आभूषणो को.मित्सुई बैंक में जमा करवा दिया है. इस जापानी सज्जन ने भारतीय राजदूत को बताया था कि बैंक और ताजिम को बताया जा सकता है कि वह आभूषणो का असली मालिक नही है.इस लिए ये आभूषण भारतीय दूतावास में जमा करवा देने चाहिए.
केलिन तेकी ने यह भी कहा था कि उसे किसी तरह का आर्थिक लाभ नहीं चाहिए, उस ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ सम्पर्क अधिकारी के तौर पर काम किया है, इस लिए वह बिना किसी लाभ के भारत की मदद करना चाहता है. भारत सरकार को जी.बी.झा ने लिखा था कि 18400 कैरेट की बात अविश्वसनीय लगती है. अगर ये सच भी हो तो भी जिन्होने इन्हे इक्कठा किया था उन्हे, या दुनिया के आभूषण विक्रेताओ की इन में कोई दिलचस्पी नहीं होगी. इसी तरह केलिन तेकी का यह दावा भी विश्वसनीय नहीं लगता कि उस ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ सम्पर्क अधिकारी के तौर पर काम किया होगा , क्योंकि केलिन तेकी को जापानी के सिवा कोई भाषा नहीं आती. लेकिन क्योकि केलिन तेकी ने दूतावास में इस सम्बंध में लिखित नोट छोडा है, इस लिए हम ने प्रधानमंत्री के ध्यान में लाना जरूरी समझते हैं क्योंकि 1951 में प्रधानमंत्री जी ने इस मामले में काफी दिलचस्पी दिखाई थी. उस समय यह माना गया था कि आभूषणो के मामले में जो जांच होगी, उस का प्रछर ज्यादा हो जाएगा, जबकि लाभ उअतना नहीं होगा.
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