वित्त मंत्री अरुण जेतली के इन अफवाहो को खारिज कर दिया है कि राजनीतिक दलो को पुराने नोट जमा करवाने पर बख्सशदिया गया है. इक्नोमिक टाइम्स से बात करते हुए अरुण जेतली ने कहा कि कर विभाग राजनीतिक दलो से निपटते हुए किसी तरह की रियायत नहीं देंगे. उन्होने कहा राजनीतिक दलो के साथ भी वही बर्ताव होगा जो बाकी आयकर कानून का उलंघन करने वालो के साथ होगा.
अरुण जेतली ने स्पष्ट किया कि : "आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13ए के अनुसार राजनीतिक दलो को आडिटिड अकाऊंट की आय व्यय की रिपोर्ट और बैलेंस शीट दाखिल करनी होती है. आठ नवम्बर 2016 को नोटबंदी के बाद कोई भी राजनीतिक दल पुराने 500 और 1000 के नोट दान के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हे अवैध घोषित कर दिया गया है और राजनीतिक दलो को पेट्रोल पम्प या बिजली घर, ट्रेन टिकट जैसी पुराने नोट स्वीकार करने की कोई छूट नहीं दी गई. अगर कोई भी राजनीतिक दल पुराने नोट स्वीकार करता है तो वह कानूनी तौर पर अवैध है."
उन्होने कहा कि बाकी आम नागरिको की तरह राजनीतिक दल भी 30 दिसम्बर तक बैंको में अपनी राशि जमा करवा सकते हैं. लेकिन उन्हे अपने रिकार्ड में यह साबित करना होगा कि वह राशि 8 नवम्बर से पहले की है. उन्होने कहा कि राजनीतिक दलो के लिए जो प्रणाली 15 साल से जारी थी, वही जारी रहेगी. उन्होने कहा कि अगर अपने फंड को बचाने के इरादे से किसी ने राजनीतिक दल बना रखा है तो कानून अपनी कार्र्वाई करेगा. उन्होने उम्मींद जाहिर की कि भविष्य में राजनीतिक दलो की फंडिंग पारदर्शी होगी.
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