नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर देश का एक अलग तरह का राज्य है, जहां के नियम कानून औरों से थोड़ा अलग हैं। यहां जितनी भी सरकारी योजनाओं की सुविधाएं हैं वो सिर्फ मुसलमानों को ही मिलती हैं। इसे लेकर कुछ दिन पहले अंकुर शर्मा नाम के एक शख्स ने आवाज उठाई थी। उसने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। इस मामले को लेकर कोर्ट ने सरकार को एक बड़ा आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि केन्द्र और राज्य सरकार इस बारे में एक बैठक करें और रिपोर्ट बनाएं कि राज्य में कौन बहुसंख्यक है और कौन अल्पसंख्यक। इसी के आधार पर उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया कि पिछले 50 साल से जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों की गिनती नहीं हुई है। तब मुस्लिम अल्पसंख्यक थे। इसी आधार पर उन्हें आज तक तमाम सरकारी योजनाओं का फायदा पहले मिलता है।
लेकिन इन 50 सालों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है, इसलिए सुविधाओं का बंटवारा सही तरीके से होना चाहिए। इस मामले में आज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव की अगुवाई में संयुक्त कमेटी बनाई गई है, जो इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार करेगी कि किसे अल्पसंख्यक माना जाए और किसे बहुसंख्यक।
सरकार ने कहा है कि 31 जुलाई तक कमेटी अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय कर दी है। माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट साफ कर देगी कि जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम वर्ग बहुसंख्यक बन चुका है। ऐसा हुआ तो उन्हें तमाम सुख-सुविधाएं छोड़नी पड़ेंगी। फिर इनका फायदा अल्पसंख्यक हो चुके हिन्दू वर्ग के लोगों को मिलेगा।
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