अजय सेतिया/ हिंदी साहित्य में जिस किसी की भी थोडी बहुती रूचि रही होगी , उस ने चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति जरूर पढी होगी. मुलायम सिंह के परिवार और समाजवादी पार्टी के श्रंखलाबद्ध घटनाक्रम ने हिंदी के साहित्यकार देवकीनंदन खत्री के श्रंखलाबद्ध ऐय्यारी उपन्यासो चंद्रकांता संतति की याद दिला दी. एक कहानी खत्म होती दिखती है कि उसी में से दूसरी कहानी शुरु हो जाती है.लगता है कि मुलायम सिंह का सारा कुनबा आजकल चंद्रकांता संतति पढ रहा है.
शुक्रवार को मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश यादव और भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाला .अखिलेश यादव ने शनिवार को अपनी ताकत दिखाई तो मुलायम सिंह ने दोनो को वापस ले लिया, लगा कि कहानी खत्म हो गई, लेकिन रविवार एक नई कहानी ले कर आ गया .रामगोपाल यादव ने पार्टी का अधिवेशन बुला कर मुलायम सिंह यादव को ही पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया. अब पार्टी पूरी तरह अखिलेश के कब्जे में है क्योंकि करीब करीब सारे विधायक और सांसद उन के साथ आ गए हैं. पर मुलायम ने अब नया दाव चला है, उन्होने 5 जनवरी को अलग से अधिवेशन बुला लिया है.
मुलायम-शिवपाल को बनवास
शनिवार को पार्टी में वापस आ कर अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव ने रविवार को पार्टी पर पूरी तरह कब्जा कर लिया. मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से और उन के चहेते भाई शिवगोपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है. अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटा कर उनकी जगह अखिलेश यादव खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बन गए हैं. अधिवेशन के बाद अखिलेश यादव कैम्प ने पार्टी मुख्यालय पर जा कर कब्जा कर लिया.
प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव और प्रो रामगोपाल यादव द्वारा बुलाए गए आपात राष्ट्रीय अधिवेशन में जिन बातों को तरजीह मिली वह है शिवपाल यादव और अमर सिंह पर जमकर निशाना साधना. शिवगोपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, उनकी जगह पर नरेश उत्तम पटेल को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है. जबकि अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया. रामगोपाल यादव ने भाषण में इन दो लोगों पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव को इन दोनो की साजिश के तहत प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया गया.
सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में रामगोपाल यादव ने चार प्रस्ताव पेश किए और उन चारों को सर्वसम्मति से पास कराया गया.
1. मुलायम सिंह की जगह पर अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड का भी अध्यक्ष घोषित किया गया. .(अखिलेश को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की सूचना जल्द निर्वाचन आयोग को दी जाएगी)
2. जैसे भाजपा ने लालकृष्ण आडवाणी को शिखर पुरुष घोषित किया,वैसे ही मुलायम सिंह को पार्टी का संरक्षक बनाया गया.
3. सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को पद से हटा दिया गया.
4. राज्यसभा सांसद अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया.
मुलायम ने रामगोपाल को फिर निकाला
यह तिल्समी कहानी यही पर खत्म नहीं हुई .सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को जैसे ही पता चला कि अखिलेश और रामगोपाल के बुलाए अधिवेशन में उन्हे अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है, उन्होने तुरंत एक पत्र जारी कर इस अधिवेशन को अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया और रामगोपाल को फिर पार्टी से निकाल दिया. वह दो महीनो में तीसरी बार पार्टी से निकाले गए. राम गोपाल यादव के साथ ही दो अन्य सांसदो नरेश यादव और नंदा को भी पार्टी से निकाल दिया. इन दोनो ने कहा कि अब पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, वही उन्हे पार्टी से निकाल सकते हैं , मुलायम सिंह नहीं.
अब झगडा जाएगा चुनाव आयोग की दहलीज पर
मुलायम ने यह भी कहा कि अधिवेशन में शामिल होने वालों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी. शिवगोपाल ने कहा कि रामगोपाल ने जब अधिवेशन बुलाया था, तब वह पार्टी में नहीं थे, इस लिए अधिवेशन अवैध है. इसी अधिवेशन में पारित प्रस्ताव के आधार पर अखिलेश कैम्प चुनाव आयोग के पास जा कर चुनाव निशान आवंटित करने का अधिकार लेना चाहता है, ताकि टिकट बांटने का अधिकार मुलायम सिंह यादव और शिवगोपाल यादव के पास रहे ही नहीं. लेकिन मुलायम और शिवगोपाल यह अधिकार यह अधिकार अपने पास रखने पर बाजिद्द हैं.
अखिलेश यादव का बयान
अधिवेशन में सीएम अखिलेश ने कहा कि वह पिता मुलायम का जितना सम्मान पहले करते थे, उससे कई गुना ज्यादा सम्मान आगे करेंगे. अगर नेताजी के खिलाफ और पार्टी के खिलाफ साजिश हो तो नेताजी का बेटा होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों के खिलाफे हम खड़े हों. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैं जो चाहती हैं सपा की सरकार ना बनने पाए. सरकार जब बनेगी और बहुमत आएगा तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी.
मुलायम संतति बन गई समाजवादी पार्टी
इस राजनीतिक पटकथा के पीछे एक पट्ट्कथा दूसरी भी है. यूपी की एक वेबसाईट के अनुसार वह पट्टकथा है कई महीनों से चल रही बाप-बेटे के बीच की जंग. जंग केवल बाप बेटे तक सीमित नही है. झगड़ा घर तक पहुंच गया है, सूत्रों का कहना है कि सास साधना गुप्ता और बहू डिपंल यादव के बीच अक्टूबर से ही जमकर तू तू मैं मैं चल रही है. कहा ये भी जा रहा है कि यहीं कारण था कि सीएम अखिलेश यादव बीवी बच्चों को लेकर मुलायम का घर छोड़कर अपने घर में रहने लगे थे.
अक्टूबर में अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता ने अखिलेश की पत्नी और सांसद डिम्पल यादव से लड़ाई की थी. इतना ही नहीं उन्होंने डिंपल को अपशब्द भी कहे थे. सास साधना गुप्ता और बहू डिपंल यादव के बीच की लड़ाई जब अखिलेश को पता चली तो वह बहुत गुस्सा हुए. अखिलेश मुलायम से अलग रहने लगे.
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