नई दिल्ली / देश के आयकर दायरे को बढ़ाने के लिए सरकार ने इनकम टैक्स विभाग को 1.25 करोड़ नए आयकरदाताओं को जोड़ने का टास्क दिया है। नोटबंदी से विभाग को पता चल गया है कि सवा करोड़ लोगों को आयकर के दायरे में लाया जा सकता है | विभाग के लिए नीति निर्धारण करने वाली संस्था सीबीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज) ने आयकर विभाग को वित्त वर्ष 2017-18 में टैक्स बेस बढ़ाने के लिए 'फोकस्ड कोशिशें' करने का निर्देश दिया है।
सीबीडीटी ने इनकम टैक्स विभाग को 1.25 करोड़ नए आईटी रिटर्न फाइल करने वालों को जोड़ने का टारगेट दिया है। नए आईटी रिटर्न फाइलर उनको कहा जाएगा जिन्होंने अभी तक इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है, लेकिन नए कानून के तहत वे टैक्स दाखिल करने के दायरे में आते हैं। टैक्स अधिकारी ऐसे लोगों को टैक्स के दायरे में लाएंगे और उनसे टैक्स फाइल करवाएंगे।
हैदराबाद और पुणे रीजन के अधिकारियों को सबसे अधिक टारगेट दिया गया है। टारगेट को पूरा करने के लिए हैदराबाद रीजन को 12.8 लाख और पुणे रीजन को 11.8 लाख नए आईटीआर फाइलर्स जोड़ने होंगे। इसके बाद नंबर है चेन्नै का जिसे 10.47 लाख और चंडीगढ़ को 10.41 लाख नए फाइलर्स जोड़ने हैं।
देश के टैक्स बेस का दायर बढ़ाने के प्लान पर नई दिल्ली में हुए 'राजस्व ज्ञानसंगम' कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई और प्लान फाइनल भी किया गया। कॉन्फ्रेंस के दौरान सीबीडीटी ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, 'टैक्स बेस का दायरा बढ़ाने के लिए रणनीति पर काफी चर्चा की गई जिसमें नोटबंदी के दौरान वेरिफाई किए गए डेटा को ध्यान में रखा गया साथ ही स्टेटमेंट ऑफ फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस (SFT) पर भी फोकस रखा गया।'
सीबीडीटी ने कहा, 'इस वित्त वर्ष में सीबीडीटी ने टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने का टारगेट रखा है। यह भी निर्देश दिया गया कि ऑपरेशन क्लीन मनी को भी पॉपुलर किया जाए जिससे टैक्स चोरी को खत्म किया जा सके।' आधिकारिक डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में फाइल किए गए कुल रिटर्न (इलेक्ट्रॉनिक+पेपर) की संख्या 5.43 करोड़ थी जो 2015-16 में फाइल किए गए रिटर्न से 17.3 प्रतिशत ज्यादा थी। इसी प्रकार 10 जून तक वित्त वर्ष 2016-17 में 1.26 करोड़ नए टैक्सपेयर्स को भी टैक्स बेस में जोड़ा गया है।
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