मोदी ने दावोस में दुनिया को सर्वे भवंतू सुखिना का मंत्र दिया

Publsihed: 23.Jan.2018, 16:46

दावोस : स्विटजरलैंड के दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के उद्घाटन समारोह में संबोधन करते हुए पीएम मोदी ने प्राचीन भारतीय संस्कृत मन्त्रों का सहारा लिया | उन्होंने कहा कि भारत दुनिया भर को सुखी और समृद्ध देखना चाहता है | 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत

अर्थात "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े." 

पीएम वसुधैव कुटुंबकम की बात भी कही ,जिस का अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्). यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है. इसका पूरा श्लोक कुछ इस प्रकार है. 
अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्‍लोक ७१): 

इस से पहले मोदी ने सबसे पहले स्विटजरलैंड फेडेरेशन के प्रेसीडेंट और वहां मौजूद अन्य वर्ल्ड लीडर का धन्यवाद ज्ञापित किया. पीएम मोदी ने कहा कि गर्मजोशी से स्वागत के लिए स्विटजरलैंड की सरकार और यहां की नागरिकों को धन्यवाद.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा 1997 में हुई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा आए थे. तब भारत की जीडीपी 4 मिलियन डॉलर के करीब था. अब दो दशक बाद करीब 6 गुना ज्यादा है. उन्होंने कहा कि आज हम नेटवर्क सोसाइटी नहीं, बल्कि बिग डेटा की दुनिया में जी रहे हैं. 

1997 में यूरो मुद्रा नहीं थी. उस वक्त न ब्रेक्जिट के आसार थे. उस वक्त बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम और हैरी पॉटर का नाम सुना था. उस वक्त लोगों को शतरंज के खिलाड़ियों को क्प्यूटर के गेम से हारने का खतरा नहीं था. उस वक्त गूगल का आविष्कार नहीं था. उस वक्त अगर आप अमेजन का नाम नेट पर ढूंढटे तो नदियों का नाम और चिड़ियों का नाम मिलता. उस वक्त ट्वीट करना चिड़ियों का काम था. 

मगर आज दो दशक  बाद बहुत जटिल नेटवर्क . उस जमाने में दावोस अपने समय से आगे थ और आज भी आगे है. 

पीएम मोदी ने कहा कि आज डेटा बहुत बड़ी संपदा है. आज डेटा के पहाड़ के पहाड़ बनते जा रहे हैं. उस पर नियंत्रण की होड़ लगी है. आज कहा जा रहा है कि जो डेटा पर अपना काबू रखेगा वही दुनिया में अपना ताकत कायम रखेगा. आज तेजी से बदलती तकनीक और विनाशकारी कार्यों से पहले से चली आ रही चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही है. 

उन्होंने कहा कि शांति, स्थिरता सुरक्षा अभी भी गंभीर चुनौती बने हुए हैं. इस वक्त हमारे सामने कई ऐसे सवाल हैं, जो मानवता और समुची पीढि़यों के लिए समुचति जवाब मांगते हैं. ये कौन सी शक्तियां हैं, जो सामंजस्य के ऊपर अलगाव को तहजीह देती है. वो कौन से साधन और रास्ते हैं, जिनके जरिये हम दरारों और दूरियों को मिटाकर एक सुहाने और सांझा भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं. 

भारत भारतीयता और भारतयी विरासत का प्रतिनिधि होने के नाते , मेरे लिए इस फोरम का विषय जिनता समकालीन है, उतना ही समयातीत भी है. समयातीत इसलिए क्योंकि भारत में अनादी काल से हम मानव मात्र को जोड़ने में विश्वास करते आएं उसे तोड़ने में नहीं, बांटने में नहीं. हजारों साल पहले संस्कृत में लिखा है कि भारतीय चिंतकों ने कहा है कि वसुधैव कटुंबकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है. इसलिए हम सब एक परिवार की तरह हैं. हमारी नियति में एक साझा सूत्र हमें जोड़ती है. वसुधैव कुंटुंबकम आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक और प्रांसगिक है. 

मगर आज एक एक कारण है कि इस विकट स्थिति से निकलने के लिए सहमति का आभाव है. परिवार में भी जहां एक ओर सद्भाव और सामंजस्य होता है. उन्होंने कहा कि दोस्तों मैं जिन चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा हूं, उसका विस्तार बहुत व्यापक है. मैं यहां तीन प्रमुख चुनौतियों को जिक्र करना चाहता हूं. जो मानव सभ्यता के लिए खतरा पैदा कर रहा है.

पहला खतरा- जलवायु परिवर्तन, द्वीप डूब रहे हैं, बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बेहद सूखा का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. दावोस में जो बर्फ पड़े हैं, वो 20 साल बाद हुआ है. आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है. 

उपनिषद में तेन-संसार में रहते हुए उसका त्याग पूर्वक भोग करो और दूसरे की संपति का लालच मत करो. ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने आवश्यक्ता के अनुसार सिद्धांत को अपने में शामिल किया,. महात्मा गांधी ने भी आवश्यक्ता अनुसार सिद्धांत को बल दिया था. उन्होंने कहा कि त्याग पूर्वक भोग से हम आवश्यकता से होते हुए लालच करते हुए हम प्रकृति का दोहन करने लगे है.

पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद बड़ा खतरा है, लेकिन उससे भी बड़ा खतरा है कि लोग आतंकवाद को भी अच्छा आतंकवाद और बुरा आंतकवाद के रूप में परिभाषित करते हैं.  भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया कि भूमि माता, पूत्रो अहम पृथ्वया यानी हम लोग इस धरती की संतान हैं. 

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवन शैली है. हम भारतीय ये समझते हैं कि विविधता के विभिन्न आयामों संकल्प का कितना महत्व होता है. भारत में लोकतंत्र सवा सौ करोड़ लोगों के सपनों , आकांक्षाओं और उनके विकास के लिए एक रोडमैप भी तय करता है. भारत के 6 सौ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया. हमने किसी एक वर्ग का या सीमित विकास का नहीं, बल्कि सबके विकास का संकल्प लिया. हमारी सरकार का मोटो है- सबका साथ, सबका विकास. हमारी योजना और नीति समावेशी है. हमारी हर चीज में समावेशी दर्शन देखने को मिलता है.

उन्होंने कहा कि हम भारतीय अपने लोकतंत्र और विविधता पर गर्व करते हैं. धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और कई तरह की विविधता को लिए समाज के लिए लोकतंत्र महज राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवनशैली की एक व्यवस्था है. 

पीएम मोदी के भाषण से पहले स्विटरजलैंड फेडरेशन के प्रेसीडेंट ने अपने संबोधन में पीएम मोदी और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिस्सा लेने वाले सभी देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि जियो पोलिटिकल सेनारियों में हम सभी काफी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद समेत कई मुद्दों का जिक्र किया. 

स्विटजरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में प्रधानमंत्री कुछ देर ही में भाषण देंगे. भाषण देने के लिए पीएम मोदी पहुंच गये हैं और अब कुछ ही पल में पीए मोदी अपना भाषण देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण में न्यू इंडिया की बात करेंगे, जो वैश्विक स्तर पर एक नई ताकत के रूप में उभर रहा है. 
पीएम मोदी के साथ कार्यक्रम में 6 केंद्रीय मंंत्रियों, 2 मुख्यमंत्री और कई बिजनेस लीडर गए हैं. चार दिन तक चलने वाले इस फोरम में पीएम मोदी के अलावा भारत के मंत्री,कई बिजनेस लीडर और शाहरुख खान भी अलग-अलग विषयों पर अपनी बात रखेंगे. 

आपको बता दें कि यह पहली बार है कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में संबोधन दे रहे हैं..

इससे पहले पीएम मोदी ने सोमवार को शीर्ष वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक की. इसमें पीएम मोदी ने कहा कि भारत चीजों को लेकर गंभीर और जो कह रहा है, उसे करना चाहता है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर की कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने के लिए काफी बेहतरीन अवसर हैं. बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करके बताया कि पीएम मोदी ने दुनिया की शीर्ष कंपनियों के सीईओ के साथ गोलमेज बैठक की. मोदी ने भारत की विकास की कहानी बयां करते हुए उन्हें वैश्विक व्यापार के लिए भारत में मौजूद आकर्षक अवसरों के बारे में जानकारी दी.

वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट में कहा, "दावोस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीर्ष कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की. मोदी ने उन्हें भारत के आर्थिक विकास की कहानी और देश में निवेश के अवसरों की जानकारी दी."  

इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा, "मुझे आप सबकी तारीफ करने दीजिए. आपने हमने अपनी वैश्विक संगठनात्मक कौशल से गौरवान्वित किया है। विश्व का प्रत्येक सीईओ आपकी मेहमाननवाजी से अभिभूत हो गया था."

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ट्वीट कर कहा, "सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधन को सुनने और कई सत्रों में हिस्सा लेने के अलावा मैं तड़के आल्पस में योगा कक्षाओं में शामिल होने को लेकर आश्वस्त हूं. विश्व आर्थिक मंच में भारत की शक्ति का प्रदर्शन हो रहा है."

उल्लेखनीय है कि फोरम का उद्देश्‍य विश्‍व के व्‍यवसाय, राजनीति, शिक्षा और अन्‍य क्षेत्रों में कार्य करने वाले प्रभावी लोगों को एक साथ एक मंच पर लाकर वैश्विक, औद्योगिक दिशा तय करना है. इसकी स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी. उसी वर्ष यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के सम्मिलित सहयोग से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी. वर्ष 1987 में इसका नाम विश्व आर्थिक फोरम कर दिया गया और तब से अब तक, प्रतिवर्ष जनवरी महीने में इसके बैठक का आयोजन होता है.
 

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