माकपा के महासचिव सीता राम येचुरी ने पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी की है. भाकपा के वरिष्ट नेता अतुल अनजान न्एए शुक्रवार को बातचीत का समर्थन करने से इंकार कर दिया था, लेकिन शनिवार को भाकपा नेता दी. राजा ने कहा कि तनाव घटाने के लिए बातचीत की जानी चाहिए. जबकि कांग्रेस के नेता एंव पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि येचुरी को अपना विचार रखने का अधिकार है, लेकिन मौजूदा हालात का जायजा ले कर निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार को है.
सीएनएन न्यूज पर डिबेट के दौरान सांसद सवप्नदास गुप्त ने कहा कि सीता राम येचुरी देश का जनता का मूड समझने में नाकाम रहे हैं. उन्होने कहा कि माकपा कभी भी देश की जनता का मूड समझने में नाकाम साबित हुई है. इस लिए भारत में वामपंथी गायब हो गए हैं. उन्होने कहा कि 1962 की जंग के समय इन्होने चीन का साथ दिया और 1971 में इन वामपंथियो ने कहा कि इंदिरा गांधी और याहिया खान एक ही हैं. याहिया खान तब पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री थे और इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान का विभाजन करने के लिए बांगला देश की मुक्ति वाहिनी का साथ दिया था. सवप्न दास गुप्ता ने कहा कि देश का मूड पाकिस्तान को सबक सिखाने का है, क्योंकि पाकिस्तान ने 2004 में किया गया यह वायदा नहीं निभाया कि वह भारत के खिलाफ आतंकवादियो को अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा. उन्होने कहा कि बातचीत का रास्ता फेल हो जाने के बाद ही भारत को सर्जिकल स्ट्राईक करना पडा.
उन्होने कहा कि पाकिस्तान में यह धारणा है कि भारत लम्बा समय सख्त रवैया नहीं अपना सकता. जबकि येचुरी जैसे लोग पाकिस्तान की इस धारणा को मजबूत करते हैं और दुनिया में यह छवि बनाने की कोशिश करते हैं कि भारत में सहमति नहीं है. डी. राजा ने सवप्न दास गुप्ता से पूछा कि क्या वह पाकिस्तान से जंग के पक्ष में हैं ? इस पर सवप्न दास ने कहा कि पाकिस्तान जैसे नकारात्मक देश के साथ कैसे निपटना चाहिए.
इस बीच सीता राम येचुरी ने ट्विटर पर अपना स्टेंड स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत सरकार को अपने नागरिको की आतंकवादियो से सुरक्षा के कदम उठाने चाहिए और सीमांत गांवो के ग्रामिणो की भी सुरक्षा करनी चाहिए.
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