नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर दीवानी मानहानि वाद में केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम खींचने से जुड़े सवालों को एक बार फिर से अनुमति नहीं दी. संयुक्त रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा ने जेठमलानी के इन सवालों को अनुमति नहीं दी कि क्या जेटली ने प्रधानमंत्री से सलाह मशविरा करने के बाद वाद दायर किया है और क्या वह मोदी को अपने बचाव में गवाह बनाना चाहते हैं.
जब जेठमलानी ने जेटली से वाद दायर करने के लिए प्रधानमंत्री से सलाह मशविरा करने के बारे में पूछा तो मंत्री के वकील ने इस सवाल की प्रासंगिकता पूछी जिसे अदालत ने स्वीकार किया. संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि सवाल को अनुमति नहीं दी जाती क्योंकि इसका इस मामले के मुद्दों से कोई संबंध नहीं है. वर्ष 2013 में भाजपा से छह वर्ष के लिए निष्कासित किए गए जेठमलानी ने जेटली से यह भी पूछा कि चूंकि आप कैबिनेट में मंत्री हैं तो आपके लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र गवाह प्रधानमंत्री होने चाहिए. क्या आप उनसे पूछताछ करना चाहते हैं?
मंत्री के वकील राजीव नायर और संदीप सेठी द्वारा सवाल का विरोध करने के बाद संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि सवाल को अनुमति नहीं दी जाती क्योंकि याचिकाकर्ता (जेटली) के गवाहों की सूची रिकार्ड में है. जेठमलानी जेटली से जिरह कर रहे थे जिनके पास मोदी कैबिनेट में वित्त और रक्षा मंत्रालय का जिम्मा है.
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