मोदी ने कैसे रखा आप्रेशन को सिक्रेट, जेतली भी अंधेरे में

Publsihed: 09.Nov.2016, 23:36

मोदी के इस चक्रव्यूह का द्वार तोड़ना आसान ही नहीं बल्कि नाममकिन था. मोदी ने अपने पीएमओ कार्यालय ही नहीं सरकार के मंत्रियों को भी इस को भी इस खबर से बेखबर रखा.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक का चक्रव्यू छह महीने पहले अपने दो खास विश्वसनीय अफसरों के साथ मिलकर रचा था. मोदी के इस चक्रव्यू का द्वार तोड़ना आसान ही नहीं बल्कि नाममकिन होगा. इसी के चलते तो मोदी ने अपने पीएमओ कार्यालय ही नहीं अपनी सरकार के मंत्रियों को भी इस खबर से बेखबर रखा,

क्यों रखा मोदी ने अपना सीक्रेट प्लान ?

दरअसल पीएम मोदी उन अरबपतियों को टारगेट कर रहे थे, जिनकी सांठगांठ मंत्रालय के मंत्रियों से रहती है. और तो और इसीलिए पीएम ने मोदी ने अपनी सरकार बनते ही तमिलनाडु के साफ सुथरी छवि वाले 1980 बैच के तेज तर्रार आईएएस अफसर शक्तिकांत दास को कृषि मंत्रालय के फर्टिलाइजर विभाग में तैनात किया. पीएम मोदी की कसौटी पर ये आईएएस अफसर खरा उतरा. जिसके चलते पीएम मोदी उनके काम से प्रभावित हुए और उनकी तैनाती वित्त मंत्रालय में राजस्व का कार्य सौप दिया. बस इसके बाद तो इस अफसर के कामों ने मोदी का दिल ऐसा जीता की वह उनके दिल में बस गए.

छह महीने पहले ही बन गयी थी योजना
इसके बाद पीएम मोदी ने उनकी तैनाती पिछले साल 29 सितंबर 2015 को आर्थिक सचिव पद पर तैनात किया. इसके साथ ही वह रिजर्व बैंक का भी कामकाज देख रहे थे. बताया जाता है कि पिछले छह महीने से मोदी इस चक्रव्यूह को रचने की तैयारी में थे. इसी तैयारी के अंतर्गत पीएम ने जनधन योजना के तहत पहले हर आदमी को बैंक के खाते से जोड़ा, जिससे देश का सारा काम डेबिट कार्ड से हो और कालेधन की समान्तर व्यवस्था को ठप्प किया जा सके. यूपीए सरकार के समय करीब करीब ठप्प पड गए आधार कार्ड को रणनीति तहत फिर से खोला गया और खातो को आधार कार्ड के साथ जोडने का अभियान चलाया गया.

नई करंसी की किसी भनक तक नहीं लगी.

इस के बाद शुरु हुई बैको से बाहर पडे कैश को अवैध घोषित करने की रणनीति बनी. वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ सौरभ गर्ग की सुरक्षा और देखरेख में करोड़ों रुपये के 500 और 1000 रुपये के नोटो की भरपाई के लिए 500 और 2000 रुपये के नए नोट पहले से छाप कर तैयार रख लिए जाएं. मगर इस बात की भनक किसी को न लगे. इसके लिए गोपनीय तरीके से इन नोटों को छापने का काम किया जाये. 2000 रुपए का नया नोट आ रहा है, यह खबर तो लीक हुई, लेकिन करंसी बदली जा रही है, यह भनक किसी को नहीं लगी.

टेक्स न अदा करने वालों पर मोदी का शिकंजा
काम तो कठिन था, लेकिन बड़े भरोसे का था. यहां तक कि इस बात की भनक रिजर्व बैंक के बड़े अफसरों तक को नहीं थी. यही नहीं किसी भी बैंक को भी इस बात की भनक नहीं लगी. विदित हो कि काले धन की वापसी के लिए इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) शुरू कर 23 जुलाई से 30 सितंबर तक का समय अपनी संपत्ति घोषित करने के लिए दिया था. नतीजा यह निकला कि कई लोगों ने अपनी नगदी घोषित कर 65,250 करोड़ रुपये सरकार के खाते में जमाकर टैक्स अदा किया. लेकिन रियल स्टेट, फेक करेंसी और आतंकवादी संगठनों पर ख़र्च किया जाने वाला पैसा इस योजना से नहीं आ सका. एमविट कैपीटल के आकंड़े बताते हैं कि भारत में 30 लाख करोड़ रूपया इन तीन कामों में इधर से उधर घूम रहा है.

तो इसीलिए की गयी थी रघुराज राजन की छुट्टी

सितंबर महीने में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराज राजन की छुट्टी करते हुए मोदी ने इसीलिए अपने खास और सबसे भरोसेमंद अफसर उर्जित पटेल की तैनाती की. उन्हें प्रोन्नति देकर उन्हें रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया. इसके बाद मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद दोनों अफसरों शक्तिकांत दास और उर्जित पटेल के साथ कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक का ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया, जिसका द्वार कोई लांघ न सके. काम कठिन था. लेकिन इरादे साफ थे. मोदी खुद इन दोनो के सम्पर्क में थे और वह खुद कई रात नहीं सोए.

चला मोदी का चाबुक

कालेधन जमा करने वालों पर शक्तिकांत और उर्जित की टीम पीएम के आदेश पर इतिहास रचने में जुट गए. दरअसल इतना बड़ा फैसला लेने से पहले देश के एटीएम और करोड़ों जनता के हाथों में नई करेंसी भी देनी थी. ताकि किसी को अचानक लिए गए इस फैसले के कारण परेशानी का सामना न करना पड़े. इसी के चलते रात 12 बजे से बंद हुई पुरानी 500 और 1000 रुपये की करेंसी बंद होते ही नई करेंसी की खेपें 24 घंटे के भीतर बैंक में और 48 घंटे के भीतर एटीएम में डालने की रणनीति बनाई गई. 

आधार कार्ड दिखाना होगा

बैंक में नोट बदलने गए व्यक्ति को अपना आधार कार्ड दिखाकर अपने बैंक में कैमरे की निगरानी में करेंसी बदलनी पड़ेगी. जिसके चलते कालेधन को छिपाये जाने वाले अरबपतियों पर अब पीएम मोदी का चाबुक चलने से कोई नहीं रोक सकेगा. बैक से पुराने नोटो का बदलाव करने वालो पर कडी निगरानी है.फिअर्म इसी लिए भरे जा रहे हैं, जिन्हे बाद में कम्प्यूटर के सोफ्ट्वेयर में डाल कर पता लगा लिया जाएगा कि किस व्यक्ति ने कितनी बार और कहाँ कहाँ कितने नोटो की बदली की है. दो लाख रुपए से ज्यादा कैश जमा कराने वालो को तो नोटिस भी आएगा.

आपकी प्रतिक्रिया