हेग की अदालत में बचने के बहाने ढूंढता पाकिस्तान

Publsihed: 15.May.2017, 13:24

अजय सेतिया / आज सोमवार हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अदालत में  कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ भारत की याचिका पर सुनवाई होगी | भारत की तरफ से सुप्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे सजा-ए-मौत रोके जाने के प्रोविजनल स्टे मिलने पर पूरी तरह आश्वस्त हैं | दूसरी तरफ अब तक जो जानकारी मिली है कि पाकिस्तान के अटार्नी जनरल अश्तर औशफ खुद तो वहां पहुचे ही हैं, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के जानकार यूरोपीय वकील का भी बंदोबस्त किया है | वैसे कई पाकिस्तानी भी हेग की अदालत में जज रह चुके हैं ,  पाकिस्तान के अटार्नी जनरल अश्तर औशफ ने उन पाकिस्तानियो से भी सलाह मशविरा किया था | अश्तर औशफ  का पहला आईडिया है कि हेग की अदालत के अधिकार को चुनौती दी जाए | हेग की अदालत में जज रहे चुके पाकिस्तानी उन से सहमत नहीं हुए , अश्तर औशाफ की यह दलील कामन वेल्थ समझौते से जुडी है | कामनवेल्थ देशों में 1974 में हुए उस समझौते में कहा गया है कि कामनवेल्थ देश आपसी टकराव के मुद्दों को आपसी बातचीत से हल करेंगे | दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही हेग की अदालत का दरवाज़ा खटखटाया जा सकेगा | अशरफ औशाफ ने 1999 का उदाहरण दिया है , जब पाकिस्तान हेग की अदालत में इसी आधार पर भारत के खिलाफ दायर केस हार गया था | 
कारगिल युद्ध के तुरंत बाद भारतीय सेना ने रण-आफ-कच्छ में पाकिस्तानी  नेवी का लड़ाकू विमान मार गिराया था | अटलांटिक एयरक्राफ्ट में सवार सभी 16 पाकिस्तानी सेनिक मारे गए थे | विमान का मलबा बार्डर के दोनों तरफ गिरा था | पाकिस्तान ने सारी दुनिया में भारत के खिलाफ हल्ला मचाया कि भारत ने पाकिस्तानी सीमा के भीतर उड़ान भर रहे पाकिस्तानी  विमान को  गिराया है | अपने दावे को पुष्ट करने और अन्तर्राष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने के इरादे से उस ने इस्लामाबाद स्थित कई देशों के राजदूतों को मौका-ए-वारदात का दौरा करवाया | हालांकि ज्यादातर राजदूतों का आकलन था कि पाकिस्तान का विमान अन्तर्राष्ट्रीय सीमा लांघा होगा | भारत की ओर से भी विमान का मलबा दुनिया भर के पत्रकारों को दिखा दिया गया था , जिस से भारत के  इस दावे की पुष्टि होती थी कि पाकिस्तानी सैन्य विमान करीब दो घंटे तक सीमा का उलंघन कर के भारतीय क्षेत्र में घूम रहा था | पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय हेग अदालत में भारत के खिलाफ 6 करोड़ डालर के हरजाने का केस डाला था | भारत की तरफ से तब अटार्नी जनरल सोली सोराबजी हेग में पेश हुए | सोली सोराबजी की पहली दलील कामनवेल्थ समझौते की थी | उन की दूसरी दलील यह थी कि पाकिस्तान ने 1991 के भारत-पाक समझौते का भी उलंघन किया | इस समझौते के मुताबिक़ दोनों देशों के लड़ाकू विमान अपनी सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में नहीं आ सकेंगे | 
पाकिस्तान की दो लच्चर दलीलें थी | उन की दोनों दलीलों पर उन की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खिल्ली उडी | उस की पहली दलील तो यह थी कि विमान लड़ाकू नहीं था ,वह प्रशिक्षण विमान था | दूसरी दलील यह थी कि विमान पाकिस्तान की सीमा में ही था, भारत ने पाक सीमा में उड़ रहे विमान को गिराया |  जबकि भारत घटना की तरफ अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए भारतीय सीमा ने गिरे पाकिस्तानी सैन्य विमान के मलबे को दिल्ली ला कर अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों को दिखा चुका था, जिस के सबूत हेग में प्रस्तुत कर दिए गए | इस केस की करीब दस महीने सुनवाई चली | सोलह जज केस की सुनवाई कर रहे थे , जून 2000 में अदालत ने 14-2 के अंतर से फैसला सुनाया | चौदह जजों के फैसले में कहा गया कि यह मामला अंतर्राष्ट्रीय अदालत की जुरीडिक्शन में नहीं आता | पाकिस्तान ने छह करोड़ डालर के हरजाने का दावा ठोका था , जबकि उसे मिला तो धेला भी नहीं, जबकि  केस लड़ने में पाकिस्तान के 4 लाख डालर खर्च हो गए थे | अब पाकिस्तान के अटार्नी जनरल अटलांटिक एयरक्राफ्ट का उदाहरण दे कर भारत की ओर से दायर किए गए केस को उसी आधार पर खारिज करवाने की दलील दे रहे हैं | 
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अली सोफान अटार्नी जनरल से सहमत नहीं हैं | अली सोफान साढे तीन साल हेग की अदालत में जज रह चुके हैं | उस से पहले वह लाहौर हाईकोर्ट के भी जज रहे हैं | उन का कहना है कि कामनवेल्थ का मामला होने के बावजूद यह मानवाधिकार उलंघन का मामला भी है | अगर कामनवेल्थ समझौते को मान  भी लिया जाए, तो भी इस केस में मानवाधिकार आधार पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का अधिकार क्षेत्र बनता है | पाकिस्तान के  कानूनविद अधिकार क्षेत्र के मामले में दोफाड़ हैं, अनेक वकीलों ने कामनवेल्थ समझौते का जिक्र करते हुए पाकिस्तानी अखबारों में लेख लिखे हैं  | नीदरलैंड रवाना होने से पहले पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने इस सम्बन्ध में कई पाकिस्तानी और यूरोपियन क़ानूनविदों से सलाह की है | अंतर्राष्ट्रीय अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने के लिए एक नई दलील पाकिस्तान के अंदरुनी क़ानून से सम्बंधित भी है | यह क़ानून कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने से करीब महीना भर पहले ही बनाया गया है | इस क़ानून के मुताबिक़ पाकिस्तान की सुरक्षा से जुड़े मामले हेग अदालत की ज्यूरिडिक्शन से बाहर होंगे | 
हालांकि पाकिस्तान का यह अंदरुनी क़ानून अन्तराष्ट्रीय अदालत में इस लिए नहीं टिक पाएगा, क्योंकि कुलभूषण जाधव का मामला गैर पाकिस्तानी नागरिक का तो है ही ,मानवाधिकारों से भी जुडा  है | पाकिस्तान का यह क़ानून संयुक्त राष्ट्र  के मानवाधिकार संबंधी चैप्टर का उलंघन करता है | पाकिस्तान की सरकार ने भारत की ओर से बार बार आग्रह किए जाने के बावजूद काउंसलर एक्सेस नहीं दिया | पाकिस्तान सरकार अपनी फ़ौज से इतनी भयभीत थी कि उस ने विएना प्रोटोकाल का भी उलंघन कर दिया, जिस के मुताबिक़ विदेशी नागरिक के मामले में भारतीय उच्चायोग को काउंसलर दिया जाना अनिवार्य था |  पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस न दे कर विएना कन्वेंशन के उलंघन के साथ साथ मानवाधिकार उलंघन का मामला भी बनवा लिया | पाकिस्तान की मिलट्री कोर्ट की ओर से कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने से ठीक पहले बने पाकिस्तान के अंदरुनी क़ानून से साबित होता है कि पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान की फ़ौज में मिलीभक्त थी | दोनों को पहले से केस के अंतर्राष्ट्रीय अदालत में जाने की आशंका भी थी, इस लिए यह क़ानून बनाया गया |
पाकिस्तान का यह क़ानून हेग की अदालत में चलेगा या नहीं | इस को ले कर भी पाकिस्तान के अटार्नी जनरल कन्फ्यूज्ड हैं | भारत के पास यह साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं कि कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुका था और सामान्य नागरिक की तरह जीवन बसर कर रहा था | वह ईरान में व्यापार के सिलसिले में गया हुआ था, जहां आईएस ने उस का अपहरण कर के पाकिस्तान के हवाले किया था, वह ब्लूचिस्तान में नहीं पकड़ा गया था, जैसा कि पाकिस्तान दावा कर रहा है | जाधव के ईरान में व्यापार के भी ठोस सबूत है क्योंकि एक ईरानी उस का बिजनेस पार्टनर है | वह भारतीय सैनिक नहीं था, एक सामान्य नागरिक था इस लिए काउंसलर एक्सेस का अधिकारी था | पाकिस्तान की ओर से  हेग की अदालत में अपने बचाव में यह भी कहा जा सकता है कि भारत जल्दबाजी में हेग दौड़ा आया है | अभी तो पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट पडी हुई है | उस के बाद भी कई दरवाजे खुले हुए हैं | पूरी तरह कन्फ्यूज अटार्नी जनरल ने दो ही दिन पहले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कई दिशाओं की सलाह दी है | उन सभी तरह की सलाहों के साथ सब से बड़ी सलाह यह है कि विदेशी वकीलों की सलाह ली जाए | 

 

 

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