मौका था किसानों की समस्याओं पर सेमीनार। यूएनपीए के नेता दिल्ली में एकजुट हुए। कृषि विशेषज्ञ स्वामीनाथन को सामने किया गया। स्वामीनाथन को किसानों की समस्याओं पर रपट दिए अरसा हो चुका। पर यूपीए सरकार ने रपट पर अमल नहीं किया। अब यूएनपीए रपट पर अमल के लिए आंदोलन करेगी। पर पर्दे के पीछे बनी थर्ड फ्रंट की रणनीति। मंगलवार इस मामले में अहम रहा। पिछली बार थर्ड फ्रंट की सरकार थी। तो चंद्रबाबू नायडू यूएफ के कर्ता-धर्ता थे।
मंगलवार को यूएफ के दो पुराने पार्टनर दिल्ली में थे। सो थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट तेज हो गई। यूएनपीए के चंद्रबाबू नायडू और यूपीए के करुणानिधि ने थर्ड फ्रंट की संभावनाएं तलाशी। किसानों का सम्मेलन खत्म होने के बाद यूएनपीए के छह नेताओं की बंद कमरे में गुफ्तगू हुई। ये छह नेता थे- चंद्रबाबू नायडू, ओम प्रकाश चोटाला, मुलायम सिंह, गोस्वामी, येरा नायडू और अमर सिंह। करीब आधे घंटे की गुफ्तगू के बाद चंद्रबाबू नायडू ने माकपा दफ्तर जाकर प्रकाश करात से मुलाकात की। यों तो बाबू के साथ येरा नायडू भी माकपा दफ्तर गए। पर जब दोनों ने बंद कमरे में बातचीत के लिए येरा नायडू को बाहर निकाल दिया। इससे थर्ड फ्रंट और मिड टर्म पोल पर बातचीत की आशंका जाहिर हुई। वैसे भी प्रकाश करात और एबी वर्धन दोनों ने कांग्रेस को गुजरात-हिमाचल में झटके की भविष्यवाणी कर दी है। येरा नायडू ने बताया- कांग्रेस को झटके से थर्ड फ्रंट की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। पर चंद्रबाबू नायडू ने अपनी मुलाकात में हुई बातचीत का कोई खुलासा नहीं किया। थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट पीछे छोड़ वह सीधे हवाई अड्डे चले गए। करुणानिधि उत्तर भारत के मुख्यमंत्रियों की तरह बार-बार दिल्ली नहीं आते। साल में एक-दो बार दिल्ली आएं, तो काफी। करुणानिधि की ऐसे मौके पर दिल्ली में मौजूदगी राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट का कारण बनी, जब यूएनपीए के नेता दिल्ली में जमा हुए। दिनभर करात-करुणानिधि मुलाकात की अफवाहें भी उड़ती रहीं।
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