जब तक ब्लैकविल अमेरिका के राजदूत थे, उनका भाजपा के राजनीतिज्ञों से अच्छा तालमेल था। लेकिन मेल्फोर्ड के राजदूत बनकर आने के बाद से स्थिति बदल गई, न सिर्फ तालमेल खत्म हो गया, अलबत्ता तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई। इसकी वजह थी मेल्फोर्ड का लाल कृष्ण आडवाणी को दूतावास में आकर मिलने की चिट्ठी भेजना। इस चिट्ठी को देखकर आडवाणी की भौंहें तन गई और उन्होंने इसका जवाब देना भी उचित नहीं समझा। नतीजा यह निकला कि एटमी करार पर आडवाणी से मुलाकात की जरूरत पड़ी, तो अमेरिका के हाथ-पांव फूल गए। आखिर न्यूयार्क में स्थित दक्षिण एशिया के प्रभारी जेम्स क्लेड ने आडवाणी के ओएसडी दीपक चोपड़ा से फोन करके तनाव की वजह पूछी। उसी दिन मेल्फोर्ड ने खुद फोन करके मुलाकात का वक्त मांगा और चिट्ठी भी लिखी। आडवाणी ने आठ दिन बाद मिलने का वक्त दिया। एटमी करार पर सहयोग मांगने आए मेल्फोर्ड को अपनी पहली चिट्ठी पर माफी भी मांगनी पड़ी।
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