स्टिंग आप्रेशन की मंशा पर उठाए सवाल

Publsihed: 22.Oct.2016, 12:37

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले की हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान सीएम हरीश रावत की तरफ से कोर्ट में सीनियर अधिवक्ता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पैरवी करते हुए मोदी सरकार और हरक सिंह रावत परमिलीभगत का आरोप लगाया और स्टिंग करने वाले पत्रकार की मंशा पर भी सवाल उठाए . उन्होंने कहा कि वीडियो आनन फानन सीएफएसएल जांच को भेजा गया. इस मामले में सीबीआई जांच के लिए कोई कानूनी राय तक नहीं ली गई.

( सम्पादक की टिप्पणी : 11 दिसम्बर 2005 को  "आज तक"  न्यूज चेनेल ने एक वीडियो दिखाया था ,जिस में दिखाया गया था कि लोकसभा के दस सांसद और राज्यसभा का एक सांसद संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे ले रहे थे. किसी भी सांसद ने पैसे नहीं मांगे थे, यह एक प्रायोजित स्टिंग आप्रेशन था, जिसे एक प्राईवेट वीडियो जर्नलिस्ट ने तैयार करवाया था. सांसद के सामने संसद में पूछने लायक सवाल रखे जाते थे और फिर उस के सामने नोटो की गड्डी रख दी जाती थी. इस प्राईवेट प्रोडक्शन हाऊस ने अपना स्टिंग "आज तक" को कुछ लाख में बेच कर पैसा कमाया था. लोकसभा स्पीकर ने जांच के लिए सांसद बंसल की रहनुमाई में एक जांच कमेटी बनाई और आनन फानन में सभी दस सद्स्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गई. स्टिंग आप्रेशन की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट में भी सवाल उठाया गया था, लेकिन कोर्ट ने मंशा पर सवाल उठाने को खारिज कर दिया था, और सिर्फ इस बात पर फैसला दिया था कि संसद को अपने सांसदो को बर्खास्त करने का अधिकार है या नहीं )

 

उताराखंड के मामले में सीबीआई, केंद्र, राज्य सरकार कोर्ट में जवाब दाखिल कर चुके हैं. वहीं, मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच खारिज करने को याचिका दायर की है. मार्च में सियासी बवंडर के दौरान पूर्व मंत्री हरक सिह रावत द्वारा मुख्यमंत्री के कथित स्टिंग की सीडी जारी की थी. इसमें कथित तौर पर सीएम बहुमत जुटाने को विधायकों से मोलभाव कर रहे थे। इस मामले की शिकायत के आधार पर सीबीआई जांच शुरू हुई. कपिल सिब्बल के बाद विपक्षी पार्टी कोर्ट के सामने अपनी बात रखेंगे.

 

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