तेजप्रताप का चुनाव रद्द करने की चुनाव आयोग को याचिका

Publsihed: 03.Jul.2017, 20:09

पटना | बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने एक बार फिर लालू कुनबे को अपने निशाने पर लिया है। पिछले काफी समय से राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों का पिटारा फोड़ने वाले सुशील मोदी ने सोमवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समक्ष एक ज्ञापन सौंपकर लालू यादव के बेटे बिहार के स्वास्थय मंत्री तेज प्रताप की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है।

सुशील मोदी ने निर्वाचन आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान अपने शपथपत्र में तेजप्रताप ने औरंगाबाद की जमीन का कोई जिक्र नहीं किया है। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा कि तेज प्रताप ने वर्ष 2010 में औरंगाबाद में 53 लाख रुपये में खरीदी गई 45 डिसमिल जमीन और उस पर बनी लारा डिस्ट्रीब्यूटर की बिल्डिंग, जिसमें हीरो होंडा का शोरूम चल रहा है, उसकी जानकारी शपथपत्र में जानबूझ कर छिपा लिया है।

उन्होंने दावा किया है कि इस जमीन पर तेजप्रताप ने एक बैंक से 2।29 करोड़ रुपये का कर्ज भी लिया है। उनका कहना है कि गलत शपथपत्र दाखिल करना केवल आपराधिक कृत्य ही नहीं, बल्कि भ्रष्ट आचरण भी है। इसके आरोप में निर्वाचन आयोग संविधान की धारा 324 के तहत अपनी असीमित शक्तियों का उपयोग करते हुए तेजप्रताप की सदस्यता रद्द करे। इस दौरान सुशील मोदी ने साथ भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल, सांसद सतीश चंद्र दूबे और अधिवक्ता राजेश वर्मा भी थे।

सुशील मोदी ने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी के साथ जाने का रास्ता खुला रखा है। इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह दावा भी किया कि लालू के कुछ वरिष्ठ सहयोगी केंद्र सरकार में शामिल बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं से मिले थे | उन्होंने बेनामी संपत्ति मामले में मदद करने पर बीजेपी को बिहार में सरकार गिराने का ऑफर दिया। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश:

बिहार में आपकी पार्टी की हार के 17 महीनों बाद महागठबंधन को आप कहां पाते हैं?
पहले दिन से ही नीतीश कुमार-लालू प्रसाद का गठबंधन आसान नहीं रहा है। उनके बीच कोई मेल नहीं है। ना तो उनकी केमिस्ट्री अच्छी है, न उनकी सोच मिलती है। 17 महीनों की सरकार में कई मुश्किलें रहीं। यह सरकार अब तक आपसी झगड़े की वजह से कोई बोर्ड या कमीशन नहीं बना पाई है। पिछले 9 महीनों से सारे ट्रांसफर, पोस्टिंग लटके हुए हैं, क्योंकि कई सारे दागी अफसरों की तैनाती लालू अपने हिसाब से कराना चाहते हैं। मैं नीतीश का मिजाज और उनकी कार्यशैली जानता हूं, वह लालू के साथ कभी सहज नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान दौरे, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी जैसे बड़े कदमों का नीतीश समर्थन कर चुके हैं। अब उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का भी समर्थन किया है। उन्होंने कांग्रेस को संदेश दिया है कि वह उनकी हां में हां मिलाने वाले नहीं है।

जेडीयू और आरजेडी दोनों ने कहा है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है
इनकम टैक्स अधिकारियों ने चार प्रॉपर्टी को कब्जे में लिया है, इनमें से तीन लालू के बेटे तेजस्वी से जुड़ी हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मीसा भारती को इस बारे में नोटिस दिया है कि वह बताएं कि कैसे उन्होंने ये प्रॉपर्टी बनाई और पूरी संभावना है, तेजस्वी को भी ऐसा ही नोटिस जारी किया जाएगा। अपनी कमाई के बारे में सफाई देने के लिए उपमुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें इनकम टैक्स के सामने हाजिर होना पड़े, ऐसी हालत में उन्हें इस्तीफ दे देना चाहिए। अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो नीतीश कुमार उन्हें बर्खास्त करने के लिए मजबूर होंगे। इस तरह जो हालात बन रहे हैं, खासकर लालू के दोनों बेटों को लेकर, मैं नहीं समझता कि यह सरकार लंबे समय तक चलने वाली है। मैं नीतीश के स्वभाव को जानता हूं। वह अपनी कैबिनेट में ऐसे दागी लोगों को रखना नहीं चाहेंगे।

किस तरह कर रहे हैं लालू फैमिली के बिजनस सौदों का खुलासा? 
नीतीश सरकार के अंदर के लोगों ने इसमें हमारी मदद की। जेडीयू के साथ रहे शिवानंद तिवारी और उसी पार्टी के ललन सिंह ने भी 2008 में नीतीश के कहने पर इन मुद्दों को उठाया था। आज मैं यह नहीं कह सकता कि यह सब नीतीश की जानकारी में हो रहा है या वह इससे अनजान हैं। लेकिन बहुत सारे पेपर हमें सरकार के भीतर से मिले हैं। यह संभव है कि ऐसे पेपर देने से पहले नीतीश की सहमति ली गई हो। इस तरह की सूचनाएं सामान्य तौर पर सीधे किसी को नहीं दी जातीं, गुपचुप तरीके से बीच में और लोग भी होते हैं। एक बात और, लालू के कुछ वरिष्ठ सहयोगी केंद्र सरकार में शामिल बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं से मिले। वो भी एक बार नहीं, दो बार। उन्होंने लालू फैमिली के बेनामी मामलों में मदद मांगी और वादा किया कि एक बार मामले रफा दफा हो जाएं तो नीतीश सरकार को गिराने में वे बीजेपी की मदद कर देंगे। मगर बीजेपी नेताओं ने सीधे मना कर दिया और कहा दिया कि सरकारी एजेंसी की कार्रवाई में वो दखल नहीं दे सकते।

सरकार बचाने में क्या बीजेपी नीतीश को बाहर से समर्थन देगी या सरकार में शामिल होगी?
एलजेपी के नेता रामविलास पासवान पहले ही खुले तौर पर नीतीश को साथ आने और एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव दे चुके हैं। पासवान एनडीए के बड़े नेता हैं। ऐसे हालात अगर पैदा होते हैं तो हमारा संसदीय बोर्ड इस बारे में फैसला करेगा। नीतीश भी इस पर नजर बनाए हुए हैं, उन्होंने बीजेपी के लिए रास्ता दिया है। जब वह बीजेपी के साथ थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव मुखर्जी को समर्थन देकर कांग्रेस के लिए रास्ता खोला था।

आपके साथ जाकर नीतीश को क्या मिलेगा? वह तो 2019 में विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार हो सकते हैं?
2019 के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की उनकी आकांक्षा तो है पर उन्हें अपनी सीमाएं भी पता हैं। क्षेत्रीय पार्टी का नेता होकर वह 15-16 लोकसभा सीटों से ज्यादा पर नहीं लड़ पाएंगे। मई में नीतीश ने खुद कहा था कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। यूपी चुनाव लड़ने के लिए जेडी(यू) को एक भी सीट नहीं देकर कांग्रेस पहले ही उसे झटका दे चुकी है। यूपी चुनाव से पहले 8-9 महीनों तक वहां नीतीश ने खूब मेहनत भी की थी। लेकिन कांग्रेस ने वहां के चुनाव को लेकर नीतीश से बात तक नहीं की थी। अब गुलाम नबी आजाद ने जो बयान नीतीश पर दिया है, उसके बाद तो कुछ बचता ही नहीं। 

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