पायलट खेमे की विधानसभा से भी बर्खास्तगी  

Publsihed: 17.Jul.2020, 11:11

अजय सेतिया / राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सी.पी.जोशी ने सचिन  पायलट समेत उन के कैम्प के 18 विधायकों को दलबदल विरोधी क़ानून के तहत नोटिश जारी कर दिया है , जिसे सचिन पायलट कैम्प ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है | आम तौर पर धारणा है कि दलबदल विरोधी क़ानून सिर्फ सदन में व्हिप का उलंघन किए जाने पर ही लागू होता है | लेकिन यह सही नहीं है | अगर कोई विधायक या सांसद अपने आप अपनी पार्टी छोड़ता है , तब भी उस पर दलबदल विरोधी क़ानून लागू होता है | कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने क़ानून के इसी प्रावधान के तहत स्पीकर को चिठ्ठी लिखी थी  कि इन 18 विधायकों ने खुद ही पार्टी छोड़ दी है , इस लिए इन की सदस्यता समाप्त की जाए |

अब यहा दो सवाल पैदा होते हैं , पहला तो यह कि क्या यह विधायकों पर दबाव बनाने के लिए किया गया है ताकि वे पायलट को छोड़ कर वापस उन के कैम्प में लौट आएं या अशोक गहलोत जल्दी से जल्दी इन विधायकों की सदस्यता खत्म कर के पायलट कैम्प में दहशत पैदा करना चाहते हैं | 

पायलट कैम्प के वकील हरीश साल्वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वकील हैं , लेकिन याचिका दायर करते समय शायद वह भूल गए कि क़ानून में अपने आप दल छोड़ने वालों पर भी दलबदल क़ानून लागू होता है , हालांकि अभी किसी भी विधायक ने कांग्रेस पार्टी को नहीं छोड़ा है , लेकिन उन की याचिका सदन से बाहर हुए घटनाक्रम पर स्पीकर के अधिकार को लेकर थी , जैसे ही गहलोत सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलबदल क़ानून के इस प्रावधान का जिक्र किया , साल्वे को एहसास हुआ कि क़ानून के इस प्रावधान को चुनौती दी जानी चाहिए , क्योंकि आगे जा कर गहलोत खेमा 18 विधायकों के खुद ही पार्टी छोड़ने को साबित करेगा |

राजनीति के मैदान में जो गहलोत बनाम सचिन पायलट है , वह कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी v/s हरीश साल्वे हो गया है | संशोधित याचिका दाखिल हो गई है, जिसे डबल बैंच में रेफेर भी किया जा चुका है |

स्पीकर को दलबदल क़ानून के तहत कार्रवाई की याचिका देने वाले महेश जोशी ने केविएट लगा दिया कि फैसले से पहले उन्हें सुना जाए , अब महेश जोशी कोर्ट में यही साबित करेंगे कि विधायक दल की बैठक में नहीं आने का सार्वजनिक एलान कर के पायलट कैम्प ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया है |

हालांकि स्पीकर का फैसला अंतिम होता है , कोर्ट को दखल देने का अधिकार नहीं है , उत्तराखंड, कर्नाटक , मध्य प्रदेश , मणिपुर सभी मामलों में सुप्रीमकोर्ट का यही निर्णय रहा है , हालांकि क़ानून में तो यहाँ तक प्रावधान था कि कोर्ट स्पीकर के फैसले की समीक्षा भी नहीं कर सकती , यानी स्पीकर का फैसला अंतिम है , लेकिन 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त को समाप्त कर दिया, जिससे हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में स्पीकर के फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है । हालाँकि, यह माना गया कि जब तक स्पीकर अपना आदेश नहीं देता तब तक कोई न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता ।

अभी हाल ही में इस में दो बातें नई हुई हैं , कर्नाटक में जब स्पीकर ने कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के 17 विधायकों की सदस्यता रद्द करते हुए उन्हें मौजूदा सदन के कार्यकाल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया था तो सुप्रीमकोर्ट ने उस का यह फैसला बदलते हुए कहा कि स्पीकर विधायकों को सिर्फ अयोग्य ठहरा सकता है, लेकिन ये नहीं तय कर सकता है कि विधायक कब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे | दूसरा बदलाव यह हुआ है कि मणिपुर के मामले में कोर्ट ने स्पीकर को दलबदल के एक मामले में चार हफ्ते में फैसला करने का निर्देश दिया है , हालांकि इस में भी स्पीकर को बाध्य नहीं किया गया था |

लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चेटर्जी ने सुप्रीमकोर्ट का नोटिस तक लेने से इनकार कर दिया था , विधानसभा स्पीकरों ने इसी परम्परा को आगे बढाया था , क्योंकि कोर्ट स्पीकर के दलबदल सम्बधी निर्णय लेने के अधिकार में दखल नहीं दे सकती , इस लिए आम तौर पर स्पीकर कोर्ट में अपना वकील भी नहीं भेजते , लेकिन स्पीकरों को हिदायत देने के कर्नाटक और मणिपुर के फैसलों को देखते हुए राजस्थान के स्पीकर ने हाई कोर्ट में अपना वकील भेज दिया |

सुप्रीमकोर्ट स्पीकरों के असीमित अधिकार से बेहद खफा है | कर्नाटक पर फैसला देते समय सुप्रीमकोर्ट ने स्पीकरों के अधिकारों पर सख्त टिप्पणी करते हुए संसद से आग्रह किया है कि स्पीकरों से सदस्यों को अयोग्य ठहराने का अधिकार वापिस ले कर किसी प्राधिकरण को सौपा जाए , जिस का अध्यक्ष सुप्रीमकोर्ट या हाईकोर्ट का रिटायर्ड जज हो | सुप्रीमकोर्ट का एतराज इस बात पर है कि स्पीकर सत्ताधारी राजनीतिक दल के सदस्य होते है और उन के निर्णय  राजनीति पर आधारित होते हैं | राजस्थान के स्पीकर सी.पी,.जोशी का 18 विधायकों को कुछ मिनटों में ही जारी किया गया नोटिस सुप्रीमकोर्ट की धारणा की पुष्टि करता है | हालांकि अगर कांग्रेस हाईकमान ने ठान लिया है तो राजस्थान हाईकोर्ट स्पीकर को पायलट कैम्प के सदस्यों की सदयता खत्म करने का फैसला करने से नहीं रोक सकती , और स्पीकर का फैसला होगा भी अंतिम | 

 

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