नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देऊबा मंगलवार को नेपाल के प्रधानंमत्री चुन लिए गए। देऊबा चौथी बार नेपाल के पीएम बने हैं। मुख्य विपक्षी दल नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएन-यूएमएल) की ओर से संसद की बैठक में डाली गई अड़चन खत्म होते ही देऊबा को पीएम चुन लिया गया।
नेपाल की माओवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएन-एम) प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड के इस्तीफे के बाद देऊबा का पीएम बनना तय था। नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (एम) के बीच करार के मुताबिक दोनों दलों के प्रमुख बारी-बार से प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालनी थी।
सत्तर वर्षीय देऊबा पीएम पद के लिए एक मात्र उम्मीद थे क्योंकि मुख्य विपक्षी दल सीपीएन (यूएमएल) समेत किसी भी अन्य दल ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।
देऊबा के पक्ष में 388 और खिलाफ 170 वोट पड़े। 593 सदस्यों वाले नेपाली संसद में देऊबा को पीएम बनने के लिए 297 सीटों की जरूरत थी। देऊबा नेपाल के 40वें पीएम हैं। पिछले महीने प्रचंड के इस्तीफे के बाद पीएम का पद खाली था। सत्ता में हिस्सेदारी के लिए नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (एम) के बीच करार के तहत अब देऊबा को पीएम बनना था।
देऊबा को पीएम चुनने के लिए रविवार को ही संसद की बैठक बुलाई गई थी लेकिन मुख्य विपक्षी दल सीपीएन (यूएमएल) ने प्रांतीय चुनाव पर अपने रुख को लेकर बैठक रुकवा दी थी।
सत्ताधारी दलों ने अब 28 जून को बाकी बचे चार प्रांतों में चुनाव कराने का फैसला किया है। इसके साथ ही संसदीय चुनाव जनवरी 2018 में आयोजित करने पर रजामंदी हो गई।
इसके बाद नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी (यूमाले) ने अपना विरोध खत्म कर दिया। देऊबा आखिरी बार 2004 से 2005 तक नेपाल के पीएम थे। उस समय चुनाव कराने में नाकाम रहने और माओवादियों को समझौते की मेज तक नाकाम रहने के आरोप में राजा ज्ञानेंद्र ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था।
देऊबा की कैबिनेट में शामिल होंगे मधेशी
देऊबा बुधवार को अपनी कैबिनेट का गठन करेंगे। उम्मीद है पहले कैबिनेट छोटी होगी और फिर उसका विस्तार करेंगे। इसमें कुछ मधेशी दलों के शामिल होने की उम्मीद है। देऊबा पर दूसरे चरण के स्थानीय चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से कराने की जिम्मेदारी है।
भारत से मधुर संबंध रहे हैं
नेपाली कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा के भारत से मधुर संबंध रहे हैं। आठ बार नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके देऊबा मधेसी समुदाय की समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने पक्षधर रहे हैं। उनकी अगुवाई में पार्टी मधेसी समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने की पहल करती रही है। देऊबा वर्ष 1995 से 1997, 2001 से 2002 और 2004 से 2005 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे।
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