कैशलेस के लिए कितना तैयार है भारत

Publsihed: 27.Dec.2016, 17:56

अजय सेतिया / देश को कैशलेस करने की भूमिका तो 2005 में ही बन गई थी जब रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने नेशनल पेमंट कार्पोरेशन आफ इंडिया ( एन.पी.सी.आई ) से कहा था कि इस का ढांचा खडा किया जाए. 2009 में कैशलेस के गम्भीर प्रयास शुरु हुए थे, जिस के अंतर्गत 2010 में मास्टर कार्ड और विजा कार्ड का मुकाबला करने के लिए खुद भारत का पेमंट गेट-वे बनाने पर विचार किया गया. रिजर्व बैंक के निर्देश पर भारत में पहले "इंडिया पे" नाम से गेट-वे बनाने का फैसला हुआ और बाद में इसे "रु-पे" नाम दिया गया. राष्ट्रपति ने 26 मार्च 2012 को बाकायदा "रु-पे" कार्ड लान्च किया.

विदेशी मास्टर और विजा कार्ड हर ट्रांजिक्शन पर डेढ प्र्तिशत तक ट्रांजिक्शन फीस लेते हैं, जो हर दुकानदार को अदा करनी पडती है. अगर दुकानदार को इतना मुनाफा न हो तो वह कार्ड से पेमंट करने पर ग्राहक से डेढ से दो प्र्तिशत तक ज्यादा वसूल करता है. फिक्सड कीमत वाली वस्तुओ पर ग्राहक को डेढ प्रतिशत अतिरिक्त अदा करना पडता है. अब तक देश में सारे क्रेडिट कार्ड मास्टर, विजा या डाईनर "गेट-वे" का इस्तेमाल करते हैं. सरकारी बैंको समेत देश के सारे बैंक अपने डेबिट कार्ड भी मार्च 2014 तक विजा, मास्टर या डाइनर का "गेट-वे" इस्तेमाल कर रहे थे. क्रेडिट और डेबिट कार्डो के सारे ट्रांजिक्शन पर ट्रांजिक्शन फीस इन तीनो अमेरिकन कम्पनियो को जा रही थी, जो अब भी जा रही है.

8 मार्च 2014 को भारत के राष्ट्रपति ने पहला "रु-पे" कार्ड देश को समर्पित किया . शुरु में देश के सात सरकारी बंको ने विजा और मास्टर कार्ड के साथ साथ "रु-पे" का डेबिट कार्ड जारी करना शुरु किया था. अब 29 सरकारी, 2 गैर सरकारी आईसीआईसीआई और एचडीएफसी , दो विदेशी बैंक सिटी बैंक और एचएसबीसी ने विजा, मास्टर के साथ-साथ "रु-पे" गेट-वे का डेबिट कार्ड जारी करना शुरु कर दिया है. तीनो अमेरिकन गेट-वे का एक लाभ यह है कि इन तीनो कम्पनियो के कार्ड अंतर्राष्ट्रीय हैं, जबकि "रु-पे" सिर्फ भारत के लिए गेट-वे उपलब्ध करवाता है.

इस अंतर्राष्ट्रीय समस्या को दूर करने के लिए "रु-पे" को भी किसी न किसी अंतर्रष्ट्रीय गेट-वे के साथ न्समझौता करना जरुरी था, इस लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया और नेशनल पेमंट कार्पोरेशन आफ इंडिया ने अमेरिका की डिस्कवर फाईंशियल सर्विसिस इंक के साथ समझौता किया है. यह कम्पनी अपना गेट-वे चलाती है और खुद "डिस्कवर" नाम से कार्ड जारी करती है.डिस्कवर अमेरिका की तीसरी बडी फाईनेंसियल कम्पनी है, जिस की ओर से पांच करोड कार्ड जारी किए गए हैं. "डाईनर" पहले सिटी बैंक का कार्ड था, जिसे कुछ साल पहले डिस्कवर फाईंशियल सर्विसिस इंक ने खरीद लिया है.

"रु-पे" "गेट-वे" ने अमेरिका, जापान, चीन,जर्मनी,द.अफ्रीका,ब्रिटेन , सिंगापुर, आयरलैंड के विभिन्न बैंको से समझौते कर लिए हैं और जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड भी शुरु करने वाला है. गेट-वे को इस्तेमाल करने का तरीका भी वही है जो विजा और मास्टर कार्ड का है,ई-कामर्स के लिए कार्ड इस्तेमाल करते समय ओटीपी मांगी जाती है, जो रजिस्टर्ड मोबाईल पर आती है. इस समय 1,45,270 एटीएम "रु-पे" के कार्ड को स्वीकार कर रहे हैं. 8,75,000 बिक्री केंद्रो पर रु-पे का कार्ड स्वीकार किया जाता है. 10,000 ए-कामर्स वेब-साईट्स ने 'रु-पे' गेट-वे का कार्ड स्वीकार करना शुरु कर दिया है. 

वित्त मंत्री अरुण जेतली का कहना है कि भारत को कैशलेस करना बाकी देशो से ज्यादा आसान है , क्योंकि भारत में  आधार कार्ड का प्रावधान है ,जिसे बैंको से जोडा जा चुका है, आधार कार्ड में अंगुठे का निशान है , जिस के माध्यम से बिना किसी कार्ड से ट्रांजिक्शन किया जा सकता है. आधार कार्ड के माध्यम से लोगो ने पेमंट का प्रयोग करना शुरु भी कर दिया है. सरकार ने आधार कार्ड के माध्यम से पेमेंट करने के लिए पेटीएम की तरह का "भीम" नाम से एक एप भी तैयार कर लिया है.जिसे प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को जारी किया. एप को इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ स्मार्टफोन की जरूरत होगी. जिसके बाद आधार कैशलेस मर्चेंट ऐप डाउनलोड करना होगा और स्मार्टफोन को एक बायोमेट्रिक रीडर से जोड़ना होगा. यह रीडर करीब 2000 रुपये में बाजार में मिल जाएगा. इसके बाद कस्टमर को ऐप में अपना आधार नंबर डालकर उस बैंक को चुनना होगा जिससे भुगतान किया जाना है. इस ऐप में बायोमेट्रिक स्कैन पासवर्ड की तरह काम करेगा. लेकिन सरकार ने कैशलेस का अभियान पहले छेड दिया, लेकिन आधार के माध्यम से एप बाद में लांच किया गया. प्रधानमंत्री खुद चीन के पार्टनरशिप वाली पेटीएम का प्रचार करते दिखाई दिए. 

देश की आधिकारिक आबादी 127 करोड 82 लाख 29 हजार 800 है और 109 करोड 21 लाख 144 आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं. हालांकि एनडीए सरकार ने कानून के माध्यम से आधार कार्ड को कानूनी मान्यता दिला दी है, लेकिन आधार कार्ड में एक बडी गफलत भी है. देश के कम से कम पांच राज्यो में आधार कार्ड बनाने में बडा घपला हुआ है , जिस से कम से कम इन पांच राज्यो में बडी मात्रा में फर्जी बैंक खाता खुलने की आशंका है. अभी हाल में छापामारी के दौरान जगह जगह पर फर्जी खातो में करोडो रुपए पकडे जाने की घटनाए सामने आई हैं. ये पांचो राज्य पजाब, हरियाणा, हिमाचल , दिल्ली और तेलंगाना हैं. दिल्ली सब से अव्वल है जहाँ आबादी तो 1 करोड 77 लाख 20 हजार 573 रिकार्ड की गई है, लेकिन आधार कार्ड 2 करोड 3 लाख 68 हजार 794 जारी हो गए हैं.

देश को कैशलेस करने की दृष्टि से नेशनल पेमंट कार्पोरेशन आफ इंडिया ने मोबाईल के माध्यम से ट्रांजिक्शन का नया रास्ता निकाला है. सभी बैंको का कोड जारी हो चुका है. इस कोड के माध्यम से आप तुरंत अपने बैंक से जुड कर कही भी अपने खाते से पएमंट कर सकते हो. कुछ बैंको ने अपने एप भी जारी कर दिए हैं, जो बिना इंटरनेट आप को आप के बैंक से जोड सकता है. इंटरनेट मोबाईल पेमंट सर्विस और नेशनल पेमंट कार्पोरेशन आफ इंडिया ने मोबाईल पेमंट का प्रावधान किया है. आप को पेमंट करने के लिए अपना एम.पिन और मोबाईल मनी आईडी ( एमएमआईडी ) और जिसे पेमंट करना है ,उस का एमएमआईडी चाहिए होगा. अपने बैंक में रजिस्टर्ड मोबाईल से अपने बैंक से आप कैसे जुड सकते हैं, इस का आसान सा फार्मूला है. मान लो आप आप का खाता स्टेट बैंक आफ इंडिया में है तो आप को अपने मोबाईल से *99*41* .... #  डायल करना है.जहाँ खाली जगह है वहा 1.2.3 भरने से अलग अलग जानकारिया प्राप्त की जा सकती हैं. इस प्रणाली में इंटरनेट की जरुरत नहीं है, लेकिन यह सारा ढांचा एमटीएनएल की सेवाओ जैसा ही है, जो चलता ही नहीं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को तुरंत डिजिटल और कैशलेस करना चाहते हैं लेकिन देश की डिजिटल सेवाओ की हालत क्या है ,यह एक ताज़ा अध्यण में सामने आया है. एसोचैम और निजी लेखा कंपनी डेलोइट के "स्ट्रैटजिक नेशनल मेजर्स टू कॉम्बैट साइबरक्राइम"  शीर्षक वाले सन्युक्त अध्ययन के मुताबिक देश की डिजिटल सेवाए बेहद बुरी हालत में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की मौजूदा संरचना का इस्तेमाल देश के दूर-दराज इलाकों तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने में होना चाहिए. अध्ययन में पाया गया कि देश में इंटरनेट को फैलाने का काम काफी तेजी से हो रहा है लेकिन देश में डिजिटल साक्षरता के लिए ब्रॉडबैंड, स्मार्ट उपकरणों और मासिक इंटरनेट पैकेज पूरे तरीके से उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं.अध्ययन में कहा गया कि सरकार को स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के बीच तालमेल बनाकर डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रमों के तहत लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है. वहीं ज्यादातर दूरसंचार कंपनियां फिलहाल ग्रामीण इलाकों में तेज गति की इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए निवेश नहीं कर रही हैं.जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दे रही है.

अलग-अलग बैंको के कोड इस प्रकार हैं. 

99 41# - State Bank of India

99 42# - Punjab National Bank

99 43# - HDFC Bank

99 44# - ICICI Bank

99 45# - Axis Bank

99 46# - Canara Bank

99 47# - Bank of India

99 48# - Bank of Baroda

99 49# - IDBI Bank

99 50# - Union Bank of India

99 76# - Karnataka Bank

99 69# - IndusInd Bank

99 64# - Vijaya Bank

99 58# - Indian Bank

99 55# - Syndicate Bank

99 59# - Andhra Bank

99 61# - Bank of Maharashtra.

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