मसूद अज़हर के मामले में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत में भी कोई सफलता नहीं मिली. चीन लगातार दो बार मसूद अज़हर को यह कर बचा चुका है कि आतंकवाद का राजनीतिक इस्तेमाल न किया जाए. असल में चीन दलाई लामा को आतंकवादी मानता रहा है और भार्त ने उसे राजनीतिक शरण दी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मुलाकात की जानकारी देते हुए कहा है कि बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के मुद्दे पर भी चर्चा की. जब उन से पूछा गया कि क्या चीन के रूख में कोई बदलाव आया है, तो प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने अपना प्रयास किया है, अब निर्णय उन्हेन करना है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मसूद अजहर के बारे में संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को लेकर दोनों देशों के बीच ज्यादा समन्वय की जरूरत है..
आतंकवाद पर हुई चर्चा
आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों के प्रमुखों की मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा था. विकास स्परूप ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा है कि दोनों देशों ने आतंकवाद पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि आतंकवाद काफी अहम और मूल मुद्दा है, चाहे वह अफगानिस्तान के बारे में हो या बांग्लादेश के बारे में.
NSG को लेकर हुई बातचीत
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एनएसजी में भारत की स्थाई सदस्यता के मुद्दे पर कहा है कि इस मुद्दे पर भारत और चीन के बीच सेकंड राउंड मीटिंग काफी सहायक होगी.
आपकी प्रतिक्रिया