कैशलेस नौटंकी की निकली हवा

Publsihed: 06.Jan.2017, 14:33

केरल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस इंडिया की पोल इस राज्य ने खोली है. नोटबंदी के बाद शहरों के साथ ही गांवों को भी कैशलेस बनाने की बातें की जा रही थीं. इस दिशा में केरल के मलप्पुरम को देश का पहला ‘कैशलेस आदिवासी गांव’ भी घोषित कर दिया गया। लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है खबरों की गर मानें तो 27 दिसंबर को मलप्पुरम के कलेक्टर अमित मीना ने 27 लोगों के खाते में 5-5 रुपए डलवाकर उसे कैशलेस घोषित कर दिया था.

हालांकि, डिजिटल ट्रांजेक्शन कुछ ही दिनों में बंद हो गया. कलेक्टर ने कैशलेस हो जाने की घोषणा मेरा मलप्पुरम, मेरा डिजिटल के तहत की थी. इसका उद्देश्य केरल के मलप्पुरम को पहला कैशलेस जिला बनाना था. इसके लिए पनिया जनजाति के 400 लोगों को वाई-फाई भी दिया गया ताकि ये लोग एसबीआई बड्डी ऐप के जरिए पेमेंट कर सकें. इसका यूज करने के लिए उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक हफ्ते बाद ही वाई फाई की सुविधा सिर्फ उन 10 घरों में ही की थी जो कि उस कम्यूनिटी हॉल के पास हैं और जहां पर मोडेम लगा हुआ है. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं दिखा क्योंकि उस कम्यूनिटी हॉल में बिजली का कनेक्शन नहीं है. इसके लिए जब आसपास रहने वाले वापस आकर उस बिल्डिंग को खोलकर अपने घर के कनेक्शन से उसे बिजली देते हैं जब जाकर इंटरनेट चलता है.

हालांकि, वहां रहने वाले आदिवासीयों को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि ज्यादातर लोग को रोजाना कैश में सैलरी मिलती है जिसे वे बैंक में बहुत कम ही जमा करवाते हैं। वहां के लोग कहते हैं कि उन्हें इंटरनेट से पहले पानी और टॉयलेट की कमी से निजात पानी है.

केरल को वहां के मुख्यमंत्री पिनारी विजयन ने 1 नवंबर को ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित कर दिया था। लेकिन गांववालों का कहना है 103 घरों में से कुल 15 घरों में ही टॉयलेट की सुविधा है. बाकी लोगों को पास में बने आम शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है या फिर खुले में ही जाना पड़ता है.

(cutting)

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