चुनावो के दौरान बजट का मामला पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय

Publsihed: 06.Jan.2017, 14:02

नई दिल्ली| चुनावो के दौरान केंद्रीय बजट पेश किए जाने का मामला राष्ट्रपति भवन और चुनाव आयोग के बाद अब सवोच्च न्यायालय पन्हुच गया है. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने शुकवार को केंद्रीय बजट 2017-18 को अप्रैल तक स्थगित करने की याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका अधिवक्ता एम.एल. शर्मा ने दायर की है. 

याचिकाकर्ता ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले बजट पेश किए जाने पर आपत्ति जताई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है, इसलिए इस समय बजट पेश करना आचार संहिता का उल्लंघन होगा।सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति एन.वी.रमण और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वे सामान्य कार्यप्रणाली के तहत ही इस मुद्दे पर फैसला सुनाएंगे।

एनडीए सरकार का हिस्सा होने के बावजूद भाजपा के साथ हर मुद्दे पर टकराव की भूमिका निभाने वाली शिवसेना ने अब एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट का भी खुला विरोध किया है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है इसलिए चुनाव के दौरान संसद में आम बजट प्रस्ताव नहीं पेश किया जाना चाहिए, क्योंकि सत्ताधारी दल इसका फायदा ले सकते हैं.

विपक्ष ने राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को गुहार लगाई है कि बजट को रोका जाए और मतदान की आखिरी तारीख 8 मार्च के बाद पेश किया जाए. विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को मुख्यचुनाव आयुक्त से मिला था. इस के बाद वित्तमंत्री अऋण जेतई ने न सिर्फ बजट पहली फरवरी को ही पेश करने की बात कही, बल्कि यह भी कहा कि विपक्ष तो कह रहा है कि सारा देश नोटबंदी की वजह से सरकार के खिलाफ है, इस लिए वे विधानसभाओ में जीत रहे हैं, फिर वे बजट से क्यो डर रहे हैं. पता चला है कि सरकार आयोग को पहले ही पहली फरवरी को बजट पेश करने की सूचना दे कर अनुमति ले चुका है. 

मजेदार बात यह है कि मोदी सरकार हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना ने चुनावो के दौरान बजट को रुकवाने के लिए राष्ट्रपति तक से अपील कर दी है कि वे विशेषाधिकार का उपयोग करें. उद्धव ने कहा कि आम बजट प्रस्ताव में लोक लुभावन योजनाएं घोषित की जाती हैं. इससे  आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इस तरह की योजनाएं बजट प्रस्ताव में घोषित होने से विपक्षी पार्टियों को चुनाव में नुकसान हो सकता है जबकि सत्ताधारी दल इसका फायदा उठा सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि केंद्रीय बजट पांच राज्यों के चुनाव संपन्न होने के बाद पेश किया जाए.

आपकी प्रतिक्रिया