करुणा के नाम पर क्रूरता

Publsihed: 01.Mar.2018, 08:56

 अजय सेतिया / मीडिया पिछले एक हफ्ते से सिनेअभिनेत्री श्रीदेवी की दुबई में हुई मौत पर चर्चा कर रहा है | इस चर्चा ने देश की कई बड़ी खबरों को दबा दिया | जिन में से दो ख़बरें तमिलनाडू की हैं | एक ईसाई धर्म से जुड़े "करुणालय" की है और दूसरी काची कामिकोटी पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के देहांत की खबर | किसी बड़े न्यूज चेनल ने इन दोनों खबरों को नहीं दिखाया | जयेंद्र सरस्वती की खबर उन के भक्तों को सोशल मीडिया से मिली , जिस से सोशल मीडिया के महत्व का पता चलता है | चेन्नई के ही ईसाई "करुणालय"  की असली खबर घटना के सात दिन बाद सोशल मीडिया से देश भर में वायरल हुई | 

चेन्नई के नजदीक ताम्ब्रम में "संत जोसेफ हास्पिक्स" यानी संत जोसेफ करुणालय नाम से एक आश्रम है, जिसे ईसाई मिशनरी चलाते हैं | वास्तव में यह न तो आश्रम है और न ही करुणालय | असल में यहाँ करुणा नहीं बरसती , अलबत्ता क्रूरता होती है | 21 - 22 फरवरी की रात को इस तथाकथित " करुणालय" में चल रही अमानवीय क्रूरता की पोल तब खुली , जब चेन्नई की सड़कों से गुजर रही इस तथाकथित "करुणालय" की एम्बुलेंस बस में से एक वृद्ध और एक वृद्ध महिला की ओर से बचाओ बचाओ का शोर मचाने के बाद वहां छापा मारा गया |

असल में यह तथाकथित करुणालय कई दशक से उस इलाके की तथाकथित सेवा कर रहा था, इस लिए करुणालय की बीएस से आने वाली बचाओ - बचाओ के शोर ने सभी राहगीरों का ध्यान आकृषित किया | ईसाई धर्म के कुछ लोग हर रोज सरकारी अस्पतालों में जाते थे और पता करते थे कि वहां कौन कौन लावारिस आया है | भले ही फिर वह बूढा हो, जवान या बच्चा | अगर वहां किसी लावारिस की मौत हो जाती थी, तो अस्पताल की ओर से अंतिम संस्कार के लिए लाश इन ईसाई मिशनरियों को सौंप दी जाती थी | कई बार ऐसे लावारिस लोग भी सेवा के लिए ईसाई मिशनरियों को सौंप दिए जाते थे, जिन के बचने की कोई उम्मींद नहीं होती | ईसाई मिशनरी ऐसे व्यक्तियों को अपने धर्म गुरु की कृपा से करिश्माई ढंग से बचाने का दावा करते रहते हैं | ईसाई धर्म में ऐसे करिश्माई फादर और मादर को संत की उपाधि से नवाजा जाता है | कईयों को तो उन की मौत के बाद भी संत की उपाधि दी जाती है | 

कोई नहीं जानता कि सरकारी अस्पताल ऐसे लावारिस लोगों या उन की लाशों को ईसाई मिशनरियों के हवाले किस के आदेश से करते थे | अंत जोसेफ करुणालय के लोग वृद्ध भिखारियों और सड़कों पर सो रहे वृद्ध अनाथों को सेवा के नाम पर भी उठा ले जाते थे | यह सिलसिला बरसों से चल रहा था और जिला प्रशासन ने कभी इस तथाकथित कुरुनाली में जा कर नहीं देखा कि वहां लावारिसों की सेवा कैसे हो रही थी और उन्हें पैसा कहाँ से आ रहा था | अगर 19 फरवरी को करुणालय की एम्बुलेंस बस " टी.एन 57 ए.एम 3351"  से दो वृद्ध चिल्लाते नहीं , तो शायद  यह कभी पता नहीं चलता कि करुणालय के नाम पर किस तरह का गौरख धंधा चल रहा था | 19 फरवरी को जब एम्बुलेंस से बचाओ बचाओ का शोर हुआ , तो लोगों ने एम्बुलेंस को रोका और दोनों वृद्धों को बचाया | तब जा कर वहां की जनता को पता चला कि ईसाई मिशनरी अस्पतालों से लावारिस लाशें ले जाते थे और अपने तथाकथित करुणालय के प्रांगण में रख देते थे | उन के शरीरों से अंग निकाले जाते थे और अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में समग्ल कर दिए जाते थे |

जिन वृद्धों की सेवा के नाम पर उन्हें तथाकथित करुणालय में ले जाया जाता था , उन के साथ करुणा के नाम पर अमानवीय व्यवहार होता था और अंतत : उन की हत्या कर दी जाती थी | ईसाई मिशनरी इस क्रूरता को करुणा कह रहे थे | उड़ीसा में तो कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि ईसाई मिशनरी वृद्धाश्रम के नाम पर किस तरह धर्म परिवर्तन का खेल चला रहे हैं | ईसाईयों और हिन्दुओं में टकराव चलता रहता है | जब हिन्दुओं की आक्रोशित भीड़ ने आस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस की जीप को आग लगाई थी तो इसी ईसाई मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया था , हालांकि भीड़ में से किसी को नहीं पता था कि जीप में ग्राहम स्टेंस और उन के दो बेटे सोए हुए हैं | अब ईसाई मिशनरियों का असली चेहरा सामने आने के बाद वही मीडिया चुप्पी साध कर बैठा है | इस तथाकथित करुणालय से 1600 लाशों के लोथड़े मिले हैं , यानी कम से कम 1600 लोगों के अंग निकाल कर बेचे गए हैं |

इस का बड़ा कारण इन करीब करीब सभी न्यूज चेनलों में यूरोप और अमेरिका का पैसा लगा होना है | जिस कारण हिन्दू धर्म से जुडी खबरों की अनदेखी की जाती है और ईसाई धर्म से जुडी नकारात्मक खबरों को ब्लैक आऊट किया जाता है | कन्याकुमारी में चक्रवात आने पर जब ईसाई मछुआरे नहीं मिल रहे थे , तो इसी मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया था , वही मीडिया 1600 लाशों के अंग निकाले जाने पर चुप है, जबकि इन में से कुछ की हत्या किए जाने की भी आशंका है | तमिलनाडू में राजनीतिक बिगुल फूंकने वाले कमल हासन की चुप्पी भी आश्चर्यजनक है, उन के बारे में सोशल मीडिया में चर्चा चल रही है कि ईसाई धर्म ग्रहण कर चुके हैं और चर्च के कहने पर ही राजनीति में कूदे है | वह एक इंटरव्यू में कबूल कर चुके हैं कि वह चर्च के साथ मिल कर काम कर रहे हैं | 

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