श्रीनगर। कश्मीर में इन दिनों हालात काफी खराब हैं। पाकिस्तान लगातार सीजफायर कर रहा है। इन सबके बीच एक ऐसी खबर आई जो इंसानियत और पारस्परिक सौहार्द का उदाहरण है। कश्मीर के पुलवामा में करीब 3000 लोगों ने मिलकर एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार किया। शामिल होने वालों में से अधिकतर लोग मुस्लिम थे। त्रिचल गांव के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने 50 साल के तेज किशन का हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया।
कश्मीरी पंडित किशन लंबे समय से बीमार था। जैसे ही उसकी मौत की खबर मिली उसके पड़ोसियों ने मस्जिद के लाउडस्पीकर से पूरे इलाके को इसकी सूचना दे दी। किशन के भाई जानकी नाथ पंडित ने बताया कि यही असली कश्मीर है। यही हमारी सभ्यता और भाईचारा है। हम भेदभाव और बांटने वाली राजनीति में भरोसा नहीं करते।
नब्बे के दशक में जब पंडित समुदाय कश्मीर के अधिकांश इलाकों को छोड़कर जा रहा था उस समय किशन और उनका परिवार यहीं रुक गया था। किशन के पड़ोसी मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि किशन के अंतिम संस्कार की ज्यादातर रस्में मुस्लिमों ने पूरी की। यहां आए 99 फीसदी लोग मुस्लिम थे। चिता पर लेटाने और आग लगाने से लेकर लकड़ी काटने तक का काम मुस्लिमों ने किया है। खुद मैने भी चिता के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने की रस्म की।
रिश्तेदारों के मुताबिक तेजकिशन के निधन से जितना दुखी उनका परिवार है उतने ही दुखी पड़ोस के मुस्लिम समाज के लोग हैं। कश्मीर में करीब 68 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है, जबकि केवल 28 फीसदी ही हिन्दू हैं। यहां दो तरह के पंडित होते हैं, एक हिंदू और दूसरे मुस्लिम। दरअसल जो ब्राह्मण इस्लाम कबूल कर मुस्लिम बन गए उन्होंने नाम से पंडित नहीं हटाया है।
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