मचा बवाल तो कल्माडी-चौटाला दूम दबा कर भागे

Publsihed: 28.Dec.2016, 22:45

भारतीय ओलिंपिक संघ ने एक दिन पहले ही सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला को अपना मानद आजीवन अध्यक्ष चुना था. जिस  पर मचे बवाल के बाद भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे सुरेश कलमाड़ी ने पहले ही इस पद को ठुकरा दिया और अब अभय चौटाला ने भी इस पद को ठुकरा दिया है. यूपीए शासनकाल में हुए कॉमनवेल्थ घोटाले में सुरेश कलमाडी आरोपी हैं. वहीं इंडियन नेशनल लोकदल प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला पर आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है.

औलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष बनाए गए सुरेश कलमाड़ी के वकील का कहना है कि कलमाड़ी इस पद को तब तक नहीं अपनाएंगे जब तक उनका नाम भ्रष्‍टाचार के आरोपों से हटा नहीं दिया जाता है. वहीं इस मामले पर संज्ञान लेते हुए खेल मंत्रालय ने आईओए को नोटिस थमा दिया है. केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल का कहना है कि आईओए या तो उन्हें हटाए या दोनों खुद इस्‍तीफा दें.

केंद्रीय खेल मंत्री के अलावा पूर्व खेल मंत्री अजय माकन ने भी इस फैसले का विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की है. माकन ने कहा है कि बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को इस भारतीय ओलंपिक संघ के मामले में फैसला राजनीति से ऊपर उठ कर लेना चाहिए. माकन ने कहा, 'कलमाड़ी और चौटाला की नियुक्ति से नुकसान होगा, स्पोर्ट्स को साफ-सुथरा रखने की जरूरत है. इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए.

'पूर्व खेल मंत्री ने कहा कि राजनेता और ब्यूरोक्रेट को खेलों के मैनेजमेंट से बाहर होने चाहिए. माकन ने कहा, 'यह बात मैं एक कांग्रेस के नेता के तौर पर नहीं कह रहा हूं, बल्कि पूर्व खेलमंत्री की हैसियत से कह रहा हूं.' माकन ने कहा कि वह खुद पॉलिटिकल लाइन से ऊपर उठ कर इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर 2011 में जो बिल तैयार किया गया था उसे लाया जाए तो वर्तमान में खेल विभाग पर राज करने वाले 90% लोग बाहर हो जाएंगे.

माकन के पहले केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने भी इस बात का विरोध किया था. उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ को आड़े हाथों लेते हुए पूछा था कि क्यों आपराधिक छवि वाले लोगों के संघ का आजीवन अध्यक्ष बनाया गया. इस दौरान खेल मंत्री विजय गोयल ने कहा कि उन्हें ये स्वीकार्य नहीं हैं. 

वहीं दूसरी ओर आईओए ने आजीवन अध्‍यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर भ्रष्‍टाचार के आरोप झेल रहे दोनों नेता सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला का बचाव किया है. आईओए सूत्रों के मुताबिक दोनों की नियुक्तियां परंपराओं में रहकर ही की गई है. सूत्रों के मुताबिक दोनों को सिर्फ मानद पद सौंपे गए हैं. दोनों में से किसी को भी कार्यकारी अधिकार नहीं दिए गए हैं.

 

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