नोटबंदी के समर्थन पत्रकार ने महसूस की परेशानी

Publsihed: 03.Dec.2016, 11:23

शशि भूषण मैठाणी / मैं यह शपथ लेता हूँ कि मैं न भक्त हूँ न किसी का विरोधी :P 
पिछले दिनों में मैंने मोदी के फैसले की दिल खोल छप्पर फाड़ तारीफ़ की थी, और लिखा भी था , लेकिन अब पिछले तीन दिन से जब मुझे बच्चों की फीस व घर खर्चे के लिए पैसों की जरूरत पड़ी तो वाकही परेशानी को करीब से महसूस कर पा रहा हूँ । 
3 दिनों से दर्जनों ATM खंगाल लिए पर मुझे मेरा 2 हजार देहरादून में नशीब नहीं हो रहा है ।  किसी ने राय दी सुबह 4 से 6 बजे पक्का मिलेगा वह भी किया तो मिला जीरो, फिर एक मित्र कल सुबह मुझे अपनी बाईक पर बैठाकर  प्रिंस चौक अग्रवाल धर्मशाला वाले ATM पर ले गया कि इसमें हर समय पर्याप्त पैसा  रहता है तो वहां भी मायूशी हाथ लगी लौटकर बैंक  गया अकाउंट से एक साथ 24 हजार निकासी की पर्ची भरी तो बैंक कैशियर ने हाथ खड़े कर दिए सॉरी सर मैं आपको तीन हजार से ज्यादा नहीं दे सकता हूँ।

अब सोचिये बच्चों की फीस सब्जी दूध राशन और घर की जरूरतें अब कैसे पूरी की जाय ? सब्जी वाले अब उधार देने से मना कर दिया, राशन वाला हर रोज अपना लड़का घर पर भेज रहा है और तो और 50 रुपया महीना कूड़े वाले का भी उधार सर पर चढ़ गया है । कुल मिलाकर स्थिति सामान्य होने के बजाय चौपट सी हो गई आखिर कब तक कोई उधार देगा । 

कुछ लोग लिख रहे हैं अब स्थिति सामन्य हो गई बैंको में अब भीड़ कम हो गई ATM के बाहर भी अब लोग खड़े नहीं हैं ! 

मैंने नोटबंदी का बहुत समर्थन किया है और कर रहा हूँ ।लेकिन यह कह या लिख दूँ कि आम लोगों की परेशानी कम हो गई तो यह सरासर झूठ होगा, आप ही बताओ कहां और कौन सी स्थिति सामान्य हुई है ? ये मैं खुद वो आदमी लिख रहा हूँ जिसे लोगों ने नोटबन्दी के बाद मोदी के समर्थन में लिखने पर मोदी का भक्त कहा । 

हम लोगों में जो लिख रहे हैं कि स्थिति सामान्य हो गई, भीड़ छंट गई तो यह हमारी पूरी खोजपरक रिपोर्ट नही है । 

सच्चाई यह है कि अब लोग लाईनो में   खड़े होकर थक गए,  हार गए और अपने - अपने घर लौट गए हैं । इस उम्मीद में कि शायद अच्छे दिन आएंगे । 
बेशक़ नोटबंदी का फैसला बहुत बोर्ड  फैशला था मोदी का, लेकिन देश के अंदर अब जो हालात पैदा हो गए या हो रहे हैं वह साफ़ साफ़ ईशारा करते हैं कि मोदी सरकार ने सचमुच  नोटबंदी के बाद के हालातों से निबटने की बहुत कमजोर व कच्ची तैयारी की जिसकी वजह से जनता को अब भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है ।
कहीं कोई स्थिति सामन्य नहीं हुई है । सरकार को बहुत जल्दी कुछ स्थिति सामान्य करने की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है नहीं तो यह नोटबंदी के बाद नशबन्दी वाली स्थिति न बन जाए । 
फिर कहता हूँ नोटबंदी अच्छा फैसला है लेकिन अच्छे फैसले को लागू करने की दिशा अच्छी तैयारी तो बिल्कुल भी नहीं की गई है । 

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