जंग के दौरान तो अक्सर पाकिस्तान क रेडियो झूठिस्तान हो जाया करता था , लेकिन पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का ताजा बयान सुन कर रिटायर्ड सेनाध्यक्ष जन. वी के सिंह के मुन्ह से भी निकल गया रेडियो झूठिस्तान. सच में पाकिस्तान रेडियो झूठिस्तान बन गया है. असल में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने उरी में हुए आतंकी हमले को खुद भारत की ओर से किया गया बताया. उन्होंने कहा कि जिस हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हुए, उस हमले की कथित साजिश भारत ने खुद रची थी. ख्वाज़ा के इस बयान की भाजपा , कांग्रेस सहित सभी दलोन ने आलोचना की है. जनरल वी के सिंह ने ख्वाज़ा के इस ब्यान को रेडियो झूठिस्तान करार दिया.
जिस समय भारत के विदेश सचिव पाक के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में तलब कर क्र उरी हमले में पाक का हाथ होने के सबूत दे रहे थे, उसी समय पाक के रक्षामंत्री आसिफ ने डॉन न्यूज से कहा कि 18 सितंबर के हमले में पाकिस्तान की ओर इंगित करने वाला कोई भी सबूत सामने नहीं आया है.जिस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मुहम्मद को दोषी ठहराया है, उसकी कथित साजिश भारत ने खुद रची थी।
जब यह पूछा गया कि पाकिस्तान ने कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव के पकड़े जाने का मुद्दा क्यों नहीं उठाया। जबकि भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहादुर अली को सीमा पार से आतंकवाद का जिंदा सबूत बताया? आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान इस मुद्दे को पिछले कई माह से रोज उठा रहा है। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सिर्फ कुलभूषण जाधव ही नहीं हम लोगों के पास ब्रह्मदाग बुगती भी प्रमाण के रूप में है, जिसे भारत ने फर्जी पहचान पर वीजा जारी किया। अमेरिकी संसद में पाकिस्तान के खिलाफ विधेयक पेश होने के बारे में आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान विरोधी तत्व हर देश में मौजूद हैं, लेकिन उनकी आवाज का असर उन देशों की नीतियों पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ पांच या 10 आवाजें उठ गईं तो वे पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। आसिफ के अनुसार, पूरी दुनिया जानती है कि भारत कश्मीर विवाद सुलझाने के प्रति उतना गंभीर नहीं है जितना पाकिस्तान है। यह भी कि पाकिस्तान के खिलाफ आक्षेप लगाने के बावजूद भारत को कहीं से भी कोई समर्थन नहीं मिला है।ख्वाजा आसिफ ने कहा कि चीन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के नजरिए का समर्थन करता है, जिसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने महासभा में अपने संबोधन में फिर उठाया था।
आपकी प्रतिक्रिया