आरबीआई गवर्नर की पेशी ने रचा इतिहास

Publsihed: 09.Jan.2017, 21:54

नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर को नोटबंदी पर संसद भवन में तलब कर के लोक लेखा समिति (पीएसी) ने इतिहास बना दिया है. इस से पहले हर्षद मेहता के घोटाले के समय भी यह मौका आया था, जब वित्त मंत्रालय की समिति ने रिजर्व बैंक के गवर्नर को तलब करना तय किया था. तब मनमोहन सिंह ने दलील दी थी कि यह परम्परा के उलट होगा. मनमोहन सिंह के आग्रह पर कमेटी की बैठक मुम्बई में की गई थी, जहाँ तत्कालिन आरबीआई गवर्नर कमेटी के सामने पेश हुए थे.

तब यह बात कमेटी के सामने आई थी कि रिजर्व बैंक किसी के समक्ष जवाबदेय नहीं है, क्योकि आरबीआई का गठन ब्रिटिश शासन काल में हुआ था और तब बनाए गए नियमो में आरबीआई को किसी के प्रति जवाबदेय नही बनाआ गया था, आज़ादी के बाद भी नियमो में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. नरसिंह राव के शासनकाल के समय यह बात सामने आ जाने के बाद भी नियमो में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. हालांकि पीएसी ने रिजर्व बैंक के गवर्नर को तलब कर के एक तरह से संसद के प्र्ति जवाबदेय बना लिया है. उर्जित पटेल को अब वित्तमंत्रालय की समिति के समक्ष भी तलब किया जा सकता है.

अब संकेत मिल रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार को असहज बनाने के लिए पीएसी नोटबंदी मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तलब कर पूछताछ कर सकती है. हालांकि पीएसी में सत्ता दल के नेता निश्चित रूप से प्रधानमंत्री को तलब किए जाने का विरोध करेगी और विपक्ष की इस मुहिम को सफल नहीं होने देगी. समिति ने उर्जित पटेल और अधिकारियों को जवाब देने के लिए 20 जनवरी तक का वक्त दिया है. उन के जवाब के बाद ही प्रधानमंत्री को तलब किए जाने की बात उठेगी. 

समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता केवी थॉमस ने कहा कि प्रधानमंत्री को पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई गवर्नर और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा उचित जवाब नहीं मिला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है. इससे पहले केवी थॉमस ने पीएसी के अध्यक्ष के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. मोदी ने थॉमस को भरोसा दिया था कि 50 दिनों में हालात सामान्य हो जाएग़ी.

इससे पहले पीएसी ने उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लवासा और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास को पूछताछ के लिए तलब किया था. केवी थॉमस का मानना है कि केंद्र सरकार ने अधूरी तैयारी के साथ फैसला लिया था जिससे अर्थव्यवस्था पर गंभीर परिणाम पड़ रहे हैं.

आपकी प्रतिक्रिया