आपदा पीडित बच्चो से हाईकोर्ट को करना पडा न्याय

Publsihed: 22.Nov.2016, 21:22

राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष अजय सेतिया ने 2013-14 में राज्य सरकार से कई बार आग्रह किया कि 2013 की केदार नाथ आपदा में प्रभावित हुए बच्चो के लिए अलग से अनुदान घोषित किया जाए और उन के पुनर्वास के लिए अलग योजना बनाई जाए. राज्य सरकार से सिफारिश की गई थी कि मृतको के परिजनो को मिलने वाले अनुदान की आधी राशि मृतक के बच्चो के नाम एफडी की जाए, लेकिन ब्यूरोक्रेसी ने ऐसा नहीं होने दिया. 

अजय सेतिया ने आपदा से प्रभावित बच्चो की रिपोर्ट तैयार करवा कर विधान सभा सदन पटल पर भी रखवाई थी. जिए तत्कालिन प्रभारी मंत्री अमृता रावत ने सदन में रखा था. करीब 1100 बच्चे आपदा से प्रभावित हुए थे,जिन में मृतक बच्चे, अनाथ बच्चे और पिता विहीन हुए बच्चे शामिल थे. सदन में रखी गई इस रिपोर्ट की एटीआर आज तक सदन में नहीं रखी गई. जब कि आयोग के अधिनियम के अनुसार रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के एक साल के भीतर एटीआर सदन पटल पर रखा जाना रज्य सरकार के लिए बाध्यकारी है.

हरीश रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होने मृतको के प्रिजनो को 2-2 लाख रुपए अतिरिक्त अनुदान का एलान किया था, आयोग के  तत्कालीन अध्यक्ष अजय सेतिया ने नए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि नई दो लाख की राशि बच्चो के नाम पर एफडी करवाई जाए. हरीश रावत ने तुरंत आदेश जारी किए नए जारी 2-2 लाख मृतको के बच्चो के नाम पर एफडी की जाए. लेकिन ब्यूरोक्रेसी ने इस जीओ का जमीन पर पालन नहीं किया. आयोग ने इस सम्बंध में मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी और 20 दिसम्बर 2014 को सरकार को सौंपी अर्धवार्षिक रिपोर्ट मे इस का जिक्र भी किया था.

2013-14 और 2014 की अर्ध वार्षिक रि[पोर्ट राज्य सरकार के महिला सशक्तिकरण ऐंव बाल विकास विभाग को सौंपे जाने के बावजूद इन दोनो रिपोर्टो को सदन पटल पर नहीं रखा गया. राज्य सरकार बाल आयोग की लगातार उपेक्षा कर रहा है. 2015 में बनाए गए राज्य बाल अधिकार के नए अध्यक्ष ने राज्य के बच्चो के मुद्दो की राज्य सरकार की तरह ही उपेक्षा करना शुरु कर दिया, 2014 के बाद आयोग राज्य के बाकी आयोगो की तरह ही सफेद हाथी बन कर रह गया.

2015 में नियुक्त नए अध्यक्ष ने आयोग की 2012-13,2013-14 और 2014 की अर्ध वार्षिक रिपोर्टो पर अमल करवाने के लिए कोई कदम नहीन उठाया. आखिर केदार नाथ आपदा के मुद्दे पर नैनीताल हाईकोर्ट को निर्देश देना पडा है. नैनीताल हाईकोर्ट ने गत शनिवार को केदारनाथ त्रासदी को लेकर जनहित याचिका पर अहम फैसला सुनाया है. प्रभावितों को तय मुआवजे के अलावा 50 प्रतिशत राशि अतिरिक्त देने के साथ ही आपदा में अनाथ बच्चों को प्रतिमाह 7,500 रुपए की धनराशि बालिग होने तक देने के निर्देश उत्तराखंड सरकार को दिए हैं. 

नैनीताल हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि बच्चो को दी जाने वाली इस राशि के वितरण की निगरानी मुख्य सचिव खुद करेंगे. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि आपदा में प्रभावित बच्चो को स्नातक स्तर तक नि:शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी होगी. अदालत ने कहा है कि प्रभावितों के मकानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार एक नीति बनाए. न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने शनिवार को केदारनाथ मामले की सुनवाई की.

शवों की खोज के लिए स्पेशल टीम बनाने के निर्देश

संयुक्त खंडपीठ ने शवों की ढूंढखोज के लिए भी विशेष टीमों का गठन करने के निर्देश दिए हैं. इनका गठन एसपी स्तर के अधिकारी की अगुवाई में करने को कहा है. फैसले में शव मिलने पर इनकी डीएनए जांच करने तथा इसका पूरा लेखा जोखा रखने को भी कहा गया है.

दिल्ली के अजेंद्र . अजय व अन्य की याचिका पर सुनवाई

शनिवार को नैनीताल हाईकोर्ट की संयुक्त खंडपीठ ने दिल्ली के अजेंद्र अजय व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई की. याचिका में कहा गया था कि केदारनाथ हादसे में मरने वालों की संख्या हजारों में थी जबकि सरकार अभी तक कुछ सैकड़ा शवों को ही खोज सकी है. यही नहीं शवों का धार्मिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार तक नहीं हो रहा है. प्रभावितों को सरकार समुचित सहायता भी नहीं दे रही है. इस पर संयुक्त पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

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