भारत कैसे बनेगा एनएसजी सदस्य

Publsihed: 07.Jun.2016, 20:40

लाख टके का सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल मे भारत एनएसजी का सदस्य बन पायेगा । अमेरिका  का समर्थन जरूर मिल गया है, अमेरिका ओर फ्रांस ने 2010 में घोषणा की थी कि वह भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने मे मदद करेगा , लेकिन इतना काफी नहीं है। जब तक चीन तैयार नहीं होता, तब तक भारत का एनएसजी का सदस्य बनना संभव नहीं होगा। चीन का तर्क है कि अगर भारत को सदस्य बनाया जाता है तो पाकिस्तान को भी सदस्य बनाया जाए। भारत ने क्योंकि एनपीटी पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया था इस लिए भारत को सदस्य नही बनाया गया। हालांकि 2008 में अमेरिका ने भारत के साथ परमाणु ईंधन सप्लाई का समझोटा कर के एनएसजी का सदस्य न होने के बावजूद परमाणु ईंधन प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली थी।
गत वर्ष 26 जनवरी को अपनी भारत यात्रा के समय बराक ओबामा ने खा था की भारत जल्द ही एनएसजी का सदस्य बनेगा। इस महीने के आखिर मे एनएसजी ग्रुप कि सियोल में बैठक होने वाली है। चीन के अलावा स्विट्जरलेंड ओर मक्सीको भी भारत का विरोध कर रहे हैं। एक देश का विरोध भी भारत का एनएसजी मे प्रवेश रोक देगा, इसलिए मोदी दिन रात एक किए हुये हैं। मोदी ने अपनी ताजा विदेश यात्रा में इन दोनों देशों को भी शामिल किया है। भारत ने पिछले महीने एनएसजी कि सदस्य के लिए आवेदन कर दिया है। पाकिस्तान ने भी आवेदन कर दिया है। पाकिस्तान का आवेदन असल मे भारत का प्रवेश रोकने की रणनीति का हिस्सा है। सोमवार को मोदी ने जिनेवा मे स्विस प्रेसिडेंट जोहन स्चीन्दर अम्मान्न के साथ मुलाक़ात कर के उनका समर्थन हासिल कर लिया है। परमाणु सप्लाई ग्रुप मे कुल 48 सदस्य हैं। दुनिया में परमाणु हथियारों कि संख्या कम करने के लिए सात देशों ने एनएसजी का गठन किया था। ये सात सदस्य थे अमेरिका,सोवियत संघ , कनाडा, वेस्ट जर्मनी ,फ्रांस ,जापान ओर ब्रिटेन । चीन बहुत बाद में 2004 में एनएसजी का सदस्य बना। हालांकि इस से पहले वह पाकिस्तान को परमाणु हथियार बनाने मे सहयोग कर रहा था।
मोदी का अमेरिका मे जलवा
जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी , नरसिम्हा राव , अटल वाजपेयी के बाद नरेंद्र मोदी देश के पांचवे प्रधानमंत्री बन रहे हैं, जिन्हें अमेरिकी सिनेट में भाषण देने का मौका मिल रहा है। इन्दिरा गांधी देश की पावरफूल प्रधानमंत्री होने के बावजूद अमेरिकन सिनेट को संबोधित नहीं कर पायी थीं ।
एमटीसीयार की सदस्यता   
अमेरिकी सिनेट को संबोधित करने से ठीक पहले मंगलवार को भारत को एमटीसीयार का सदस्य बना दिया गया है। इस ग्रुप मे 34 सदस्य हैं, जो टेक्नालजी का व्यापार कर सकते हैं। इस से भारत को मिजाईल टेच्नोलोजी निर्यात करने का अधिकार मिल गया है। इस क्षेत्र में भारत को दक्षता हासिल है। 

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